8 नवंबर 2016 के दिन ही 6 वर्ष पूर्व रात्रि के 12:00 बजे से भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा परिवर्तन आया था। जिसके बाद अगले ही दिन से भारत की आधी आबादी बैंक और डाकघरों की लाइनों में खड़ी मिलने लगी। नोटबन्दी के फैसले को कुछ लोगों ने सहर्ष स्वीकारा तो कुछ ने विरोध भी जताया लेकिन वक्त के साथ-साथ सभी ने इसे अपना ही लिया। नोटबंदी के बाद देश में 500 और 1000 की पुरानी करेंसी नोट वापस ले लिए गए थे और कुछ दिनों के बाद ही वापस से नए 500 और 2000 के नोटों को बाहर मार्केट में लाया गया था।
नोटबन्दी के समय 86% करेंसी सिर्फ वपास होने वाले नोट की थी
500 और1000 के नोट सरकार द्वारा यह कह कर हटाए गए थे कि इनकी वजह से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। अगर इन्हें वापस लिया गया तो भ्रष्टाचार में कमी आएगी। नकली नोटों की छपाई भी कम होगी क्योंकि नोटों का आकार जितना बड़ा रहता है। नकली नोट उतनी आसानी से छप जाते हैं और बाजार में बाहर आ भी जाते हैं। वह 2016 में जिस वक्त नोटबंदी की गई थी उस वक्त 86% करेंसी भारत में 500 और 1000 रुपये के नोट के रूप में ही उपलब्ध थी। अचानक से इन पर प्रतिबंध लगने से देश की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा झटका उस वक्त लगा था।
भ्रष्टानोटबन्दी के बाद आए गुलाबी नोट अचानक से कहाँ गायब हुए जा रहे,जानें फिर से करप्शन को वजह बता कर क्या इन्हें वपास लिया जा सकता हैचार को वजह बता कर गुलाबी नोट को फिर से बंद करने का अंदेशा मिल रहा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसके बाद पुनः 500 और 2000 के नोट मार्केट में लाए जिसमें से 500 के नोट से बड़ी आसानी से अभी भी मौजूद है।लेकिन 2000 के नोटों की कमी साफ तौर पर देखी जा सकती है। अभी तक कुल 6849 करोड़ नोट 500 और 2000 के छापे गए थे जिसमें से सिर्फ 2000 के नोट वर्ष 2019 में 329. 10 करोड एवं 2020 में 273.98 करोड नोट 2000 के छापे गए थे। लेकिन विगत 2 वर्षों से 2000 का एक भी नोट प्रिंट नहीं हो सका है। जिस वजह से लंबे वक्त से 2000की नोट बाजार में देखे ही नहीं जा रहे हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लगभग 1 वर्ष से भी ज्यादा समय पहले ही सारे 2000 के नोट बैंकों को इंस्ट्रक्शन देते हुए वापस लेने को कह दिया था। बैंकों द्वारा सबसे पहले एटीएम से दो हजार के नोटों को हटाने को कहा गया और फिर धीरे-धीरे बैंक से भी 2000 के सारे नोट को हटवा दिया गया। गुलाबी नोटों के गायब होने की वजह कुछ भी हो लेकिन एक बार फिर से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसकी वजह भ्रष्टाचार को ही बताया है। दो हजार के नोटों की वजह से भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी वापस से देखी जाने लगी है जिससे नोटों को बाजार से हटा दिया गया है।