डेस्क : जीवन मे बहुत से लोगों के लिए संपत्ति का बहुत महत्व है. वह अपनी गाढ़ी कमाई जमा-पूंजी से जमीन या अन्य संपत्तियां खरीदते रहते हैं. ऐसे में यह जरूरी होता है कि संपत्ति से जुड़ी जरूरी कानूनी प्रक्रियाओं को भी पूरा कर लिया जाए. एक ऐसी ही प्रक्रिया है ‘रजिस्ट्री’. इस आर्टिकल में हम आपको खरीदी गयी जमीन या अन्य संपत्ति की रजिस्ट्री के बारे में सामान्य जानकारी देने वाले हैं- रजिस्ट्री जमीन या अन्य संपत्ति के मालिकाना हक को बदलने की एक प्रक्रिया है. इसी के जरिये संपत्ति के वर्तमान मालिक की जगह उस संपत्ति को अपने नाम पर दर्ज कराया जाता है.
क्या हैं रजिस्ट्री की प्रक्रिया :
क्या हैं रजिस्ट्री की प्रक्रिया : इसका सबसे प्रथम चरण है संपत्ति की बाजार के अनुसार वैल्यू निर्धारित करना. यह जरूरी है कि किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री से पहले उसकी मार्केट(बाजार) वैल्यू की जानकारी ले ली जाए. अगले चरण में हमें स्टाम्प ड्यूटी पेपर खरीदने होते हैं. जमीन की रजिस्ट्री के दौरान ही उनकी जरूरत होती है. जहां तक उनकी कीमत का सवाल है तो अलग-अलग राज्यों में इनकी कीमत अलग-अलग होती है. स्टाम्प ड्यूटी संपत्ति के मालिक के लिए उसके मालिकाना हक के सबूत के तौर पर होती है.
इसके तीसरे चरण में संपत्ति की खरीद-बिक्री संबंधी कागजात बनवाये जाते हैं. जिसमें इस बात का भी उल्लेख किया जाता है कि संपत्ति का वर्तमान मालिक अपनी संपत्ति का मालिकाना हक उस व्यक्ति को दे रहा है जिसने उससे इस संपत्ति को खरीदा है.
चौथे चरण में संपत्ति खरीदने और बेचने वाले व्यक्ति को रजिस्ट्री की प्रक्रिया के लिए एक साथ रजिस्ट्रार कार्यालय भी जाना होगा. अपने साथ उन्हें संपत्ति की रजिस्ट्री के 2 गवाह भी साथ लेकर जाने होते हैं. रजिस्ट्रार कार्यालय में संपत्ति से जुड़े जरूरी दस्तावेज और दोनों पक्षों के पहचान संबंधी कागजात भी लगाए जाएंगे. इसके बाद कार्यालय से 1 पर्ची दी जाती है. जिसका बड़ा महत्व होता है. अतः उसे संभालकर रखना चाहिए.