डेस्क : इतिहासकार चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मावती को लेकर अलग-अलग अलग-अलग बातें कहते हैं। कोई कहता है कि ‘पद्मावती’ नाम की कोई रानी थी ही नहीं थी तो वहीं कोई कहता है कि ये केवल कोरी कल्पना है। हालांकि मशहूर कवि मलिक मोहम्मद जायसी की किताब ‘पद्मावत’ में पद्मावती का जिक्र जरुर मिलता है। लेकिन अल्लाउद्दीन खिलजी की एक प्रेम कहानी ऐसी है, इतिहासकारों को जिसे लेकर कोई शक नहीं है।
ये कहानी है खिलजी के ही एक गुलाम मलिक काफूर (किन्नर) के साथ प्यार की। दिल्ली सल्तनत के उस दौर के प्रमुख विचारक और लेखक जियाउद्दीन बरनी ने जिसका जिक्र किया था। अपनी मशहूर किताब “तारीख-ए-फिरोजशाही” में बरनी ने खिलजी और काफूर के प्यार का खुला जिक्र है। अपने चाचा को मारकर 1296 ईस्वीं में दिल्ली सल्तनत का दूसरा सुल्तान बनने वाले अलाउद्दीन खिलजी के बारे में इतिहास की किताबों में दर्ज है अय्याश खिलजी और मलिक काफूर के बीच के रिश्ते का सच। जी हां जिस दौर में आधे से ज्यादा हिंदुस्तान पर खिलजी का शासन था, उसी दौर में खिलजी का सबसे खासमखास मलिक काफूर नाम का एक किन्नर हुआ करता था।
ऐसा माना जाता है कि खिलजी के सिपहसालार नुसरत खान ने 1297 में गुजरात फतेह के बाद मलिक काफूर को एक हजार दीनार में खरीदा था। इसीलिए काफूर का एक नाम ‘हजार दिनारी’ भी था। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि हिन्दू परिवार में जन्मा काफूर जन्म से किन्नर था, लेकिन वहीं ज्यादातर इतिहासकार मानते हैं कि काफूर को खिलजी ने नपुंसक बनाकर उसे मुसलमान बनवाया था। बहरहाल काफूर केवल खिलजी का प्रेमी नहीं था बल्कि वो एक बहादुर योद्धा भी था। उसने खिलजी के लिए मंगोलों के साथ और दक्षिण भारत में महत्वपूर्ण युद्धों में हिस्सा लिया।
इतिहास की किताबों में दर्ज है खलनायक सुल्तान खिलजी के नायब ने भारत में दक्षिण जमकर मार-काट मचाई और कई हिंदू राज्यों पर कब्जे के लिए लगातार आक्रमण करता गया। दक्षिण भारत के कई मंदिरों को मलिक काफूर ने नुकसान पहुंचाया। अलाउद्दीन खिलजी के भरोसेमंद मलिक काफूर ने मदुरे के पौराणिक और मशहूर मीनाक्षी मंदिर को भी तहस-नहस कर दिया था और लूट की मोटी रकम के साथ दिल्ली लौट गया था। लेखक जियाउद्दीन बरनी के मुताबिक काफूर से खिलजी को इतना प्यार था कि काफूर को उसने अपनी सल्तनत में दूसरा सबसे अहम ओहदा मलिक नायब का दिया था।