आसमान में बिजली हमेशा ZigZag ही क्यों कड़कती है ? जानें एक बार में कितनी लंबी तय करती है दूरी

डेस्क : कई बार आपने आसमान से बिजली गिरते हुए देखा होगा। जब भी आसमान से बिजली गिरती है तो वह सीधी नहीं गिरती हमेशा जिग जैग कर के नीचे आती है, ऐसे में जब भी बिजली कड़कती है तो वह टेढ़ी-मेढ़ी नजर आती है, शायद ही कभी ऐसा दिन हुआ होगा कि जब आपको सीधी रेखा में बिजली गिरते हुए नजर आई होगी।

अक्सर ही लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि आखिर बिजली कैसे बनती है और कैसे कार्य करती है आज हम आपको सारी जानकारी देने वाले हैं, जिसमें आपको बिजली बनाने से लेकर इसके हर तौर तरीके के बारे में पता चलेगा, बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जॉन लॉके ने इस पर शोध किया।

जब भी आसमान से गरजने वाले बादल पृथ्वी से जुड़ते हैं तो लाखों वोल्ट में बिजली आसमान से नीचे गिरती है, ऐसे में जमीन और आसमान के बीच हजारों एंपियर का करंट दौड़ता है। जब भी धरती और बादल आपस में छूते हैं तो चार या पांच आड़ी तिरछी रेखाएं निकलते हैं। जमीन पर बिजली गिरने का कारण इनका आपसी घर्षण ही होता है। इसके बाद यह रेखाएं फिर से बनना शुरू हो जाती है। 50 साल पहले हाई स्पीड फोटोग्राफी की मदद से इस रहस्य से पर्दा उठाया गया था, शुरुआत में यह बिजली चमकीले रेखाओं की तरह नजर आई थी। इसके बाद 50 किलोमीटर की दूरी तय करके यह बिजली नीचे की और बढ़ गई।

बिजली जिगजैग करते हुए इसलिए गिरती है क्योंकि महत्वपूर्ण संख्या में इलेक्ट्रॉनों को अलग करने के लिए पर्याप्त मेटास्टेबल स्थितियां बनती हैं। बादल के भीतर मेटास्टेबल स्थितियों और इलेक्ट्रॉनों का घनत्व बढ़ रहा है। एक सेकंड के 500 लाखवें हिस्से के बाद ही बिजली का संचालन होता है और हर कदम की नोक पर विद्युत क्षमता लगभग बादल की क्षमता तक बढ़ जाती है। पिछले चरणों में बनाए गए उत्तेजित अणु बादल तक एक स्तंभ बनाते हैं। पूरा स्तंभ तब विद्युत रूप से संचालित होता है, जिसमें विद्युत क्षेत्र की आवश्यकता नहीं होती है और प्रकाश का थोड़ा उत्सर्जन होता है।

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