डेस्क : मानसून की शुरुआत के बाद से ही आसमान से बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ जाती है। इसके कारण भारत में हर साल सैकड़ों लोग अपनी जान गंवाते हैं। बिजली एक बड़ी समस्या है, इस प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए सावधान रहना बहुत जरूरी है। केवल सतर्कता ही लोगों के जीवन को बचा सकती है। आसमानी बिजली का तापमान बहुत अधिक होता है। आज हम आसमानी बिजली से जुड़ी चीजों और इसके बारे में चर्चा करेंगे। तो आइए विस्तार से जानते हैं।
बिजली एक प्राकृतिक घटना है। जब अधिक गर्मी और नमी होती है, तो बिजली के साथ विशेष प्रकार के बादल ‘गरज वाले बादल’ बन जाते हैं और तूफान का रूप ले लेते हैं। सतह से लगभग 8-10 किमी ऊपर इन बादलों के निचले भाग में ऋणात्मक आवेश अधिक और ऊपरी भाग में धनात्मक आवेश अधिक होता है। जब दोनों के बीच का अंतर कम हो जाता है, तो बिजली के रूप में तेजी से निर्वहन होता है।
इतना होता है आस-पास का तापमान :
इतना होता है आस-पास का तापमान : हम बादलों के बीच गड़गड़ाहट देख सकते हैं और इसमें कोई नुकसान नहीं है। नुकसान तब होता है जब बिजली बादलों से जमीन पर टकराती है। साथ में, पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से पर भारी मात्रा में ऊर्जा गिरती है। एक बिजली गिरने से कई मिलियन वाट ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। इससे आसपास का तापमान 10,000 डिग्री से 30,000 डिग्री तक बढ़ सकता है।
क्या कहता है रिपोर्ट :
क्या कहता है रिपोर्ट : वार्षिक बिजली रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 के अनुसार, बिजली गिरने से सबसे अधिक मौतें 25-31 जुलाई के बीच हुईं। इस दौरान देशभर में बिजली गिरने की 4 लाख से ज्यादा घटनाएं दर्ज की गईं। आकाशीय बिजली का तापमान सूर्य की ऊपरी सतह की तुलना में अधिक होता है। इसकी क्षमता 300 kW यानि 12.5 करोड़ वॉट से ज्यादा चार्ज है।