हैलो कृषि ऑनलाइन: कपास वह फसल थी जिसने पिछले साल सबसे अधिक कीमत प्राप्त की थी। इस साल भी किसानों को कपास के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद है लेकिन कपास उत्पादकों को खेतएक नया संकट मंडरा रहा है। भारी बारिश के बावजूद कपास की स्थिति संतोषजनक रही। किसानों को उम्मीद थी कि दो-तीन चुनाव होंगे। लेकिन कपास पर अचानक कवक रोग ‘अल्टरनेरिया’ का आक्रमण हो गया। इससे फूल, पत्ते प्रभावित हो रहे हैं, इसलिए एक खेत में कपास के उखड़ने का खतरा है, कृषिविदों ने व्यक्त किया। साथ ही आज कई क्षेत्रों में तस्वीर देखने को मिल रही है।
कपास वर्तमान में अच्छी थी। इसलिए किसानों को उम्मीद थी कि कपास से सोयाबीन में हुए नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो जाएगी। अब अचानक कपास पर ‘अल्टरनेरिया’ कवक रोग का प्रकोप बढ़ गया। तो अच्छी स्थिति में कपास लाल, पीली दिखती है। यह प्रचलन किसी एक क्षेत्र विशेष में नहीं है, अपितु सर्वत्र देखने को मिलता है। इस महामारी के कारण किसान अधिक संकट में हैं।
कपास की कीमत में वृद्धि के साथ, किसानों को मौसम की सबसे बड़ी मार का सामना करना पड़ सकता है यदि एक फसल में कपास खो जाती है। दिलचस्प बात यह है कि सभी जिलों में फफूंद का प्रकोप देखा गया है। इस साल खरीफ सीजन की शुरुआत से ही किसान एक के बाद एक संकटों का सामना कर रहे हैं। सीजन खत्म होते ही संकटों का सिलसिला जारी है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कपास की लेट ब्लाइट किसानों के लिए कमर तोड़ने वाली साबित होगी।
इस रोग का परिणाम
-बीमारी के प्रकोप से कपास के पत्ते झड़ रहे हैं
-पत्ती कार्बन अपटेक प्रक्रिया को धीमा करके पौधे पर प्रभाव
– पत्ते गिरने के बाद नए फूल, पत्ते आने की संभावना बहुत कम होती है
– कपास लाल, पीली दिखती है
अल्टरनेरिया’ नामक कवक रोग कपास पर अचानक से बढ़ जाता है। कुछ क्षेत्रों में प्रेक्षणों के अनुसार, कपास एक सप्ताह के भीतर समाप्त हो जाएगी। नए फूल और पत्ते आने की संभावना कम होती है। कवकनाशी के छिड़काव से इस रोग से बचा जा सकता है।
– डॉ. प्रमोद यादगीरवार, वैज्ञानिक, संभागीय कृषि अनुसंधान केंद्र, यवतमाल