पिछले 2 साल से कोरोना की मार ने एक तरफ जहां देश की अर्थव्यवस्था तक हिला कर रख दी तो वहीं छोटे से बड़े कारोबारी एवं रोजगार करने वाले मजदूरों तक इसका असर देखने को मिला।
खासकर आवाजाही की मनाही के बाद मूर्तिकारो पर इसका खासा असर दिखा। जब मूर्तिकार को रोजगार ही मिलना बंद हो गया। लेकिन इस बार कोरोना के प्रकोप में कमी के बाद दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाने की इजाजत लोगों को मिली तब मूर्तिकारों को भी एक बार फिर रोजगार मिलना शुरू हुआ और उनकी दिनचर्या भी सामान्य होने लगी तथा जिंदगी पटरी पर लौटने लगी ।
शहरों में कई इलाके में मूर्ति कारों की बड़ी तादाद है जो जिले ही नहीं राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में घूम घूम कर मूर्ति का निर्माण करते हैं एवं अपने परिवार का प्रतिपालन करते हैं ।
मूर्तिकारों ने बताया कि पिछले 2 साल से जब वह कहीं बाहर जाते थे तो वहां से उन्हें वापस कर दिया जाता था और इसकी सबसे बड़ी वजह थी की कोरोना का असर लोगों की आस्था पर भी दिखने लगा था और लोग सरकार के निर्देश के आलोक में पूजा पाठ से भी दूर होते जा रहे थे ।
कई जगहों पर मूर्ति के निर्माण तक नहीं हुए जिससे उन लोगों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई थी । लेकिन अब जब जिंदगी दोबारा पटरी पर लौटने लगी हैं तो मूर्तिकारों में भी खुशी है एवं उन्हें आशा के साथ साथ विश्वास भी है कि अब वे अपने रोजगार को पुनः एक बार फिर जीवंत कर सकेंगे और अपने परिवार का पालन सही ढंग से कर सकेंगे । साथ ही साथ देश के उत्थान में भी अपना हाथ बटाएंगे ।