क्या आप जानते हैं आधी रात में निकलती है किन्नरों की शवयात्रा? लाश को जूते से पीटा जाता है? जानें –

डेस्क : किन्नर यानी थर्ड जेंडर जिसे भारतीय समाज में प्रायः हेय दृष्टि से ही देखा जाता रहा हैं। जिसे अक्सर समाज से बहिष्कृत ही समझा जाता हैं अपने अधिकारों के लिए इन किन्नरों को काफी संघर्ष करना पड़ा हैं। चाहे शिक्षा का अधिकार हो या फिर वजूद का।

किन्नर शब्द सुनते ही हमारे चित्त में एक तस्वीर सी उभरती हैं। हम सबने अक्सर उन्हें ट्रेन में ताली बजाकर पैसे मांगते हुए या फिर किसी के यहाँ बेटा पैदा होने पर बधाई देकर नेग लेते हुए देखा ही हैं। किन्नरों का जीवन कैसा होगा? आम इंसानों से किस तरह से भिन्न होगा ऐसे विचार अक्सर हमारे मन मे आते ही रहते हैं तो आज हम उन किन्नरों के जीवन मरण के बारे में कुछ बताने जा रहे हैं जो आपकी उत्सुकताओं को पूर्ण करती दिखेंगी।

अपने धर्म का पालन करते हैं किन्नर :

अपने धर्म का पालन करते हैं किन्नर : किन्नर यानी थर्ड जेंडर भी आम इंसानों की तरह अपने अपने धर्मों का पालन करती हैं। और उनके मरण के बाद भी उनके धर्म के अनुसार ही उनका अंतिम संस्कार भी किया जाता हैं। अगर वो सनातन धर्म को मानता हैं तो उसे चिता सहित जलाते हैं अगर वो इस्लाम को मानता हैं तो उसे दफनाते हैं। आमतौर पर किन्नरों का कोई विशेष धर्म नही होता इनका एक अलग समाज और समुदाय होता हैं, कहते हैं कि इनपर ईश्वर की विशेष कृपा होती हैं।

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कोरी बकवास हैं जूतों से पीटने वाली बातें :

कोरी बकवास हैं जूतों से पीटने वाली बातें : हमने अक्सर सुना होगा कि किन्नरों के मरने के बाद उनकी शवयात्रा आधी रात को दुनिया से छिप छिपाकर निकली जाती हैं और उनका अंतिम संस्कार से पहले उनपर जूते बरसाए जाते हैं ताकि वो अगले जन्म में किन्नर पैदा न हो। ये सारी बातें कोरी बकवास हैं किन्नरों में जूतों से पीटने की ऐसी कोई परंपरा नही है और न ही आधी रात को शवयात्रा निकालने की हैं ये सारी बाते मनगढंत हैं।

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