कुरसेला /मणिकांत रमन
कुरसेला (कटिहार)। गंगा नदी के कटाव से प्रखंड क्षेत्र के तीन पंचायतों के करीब आधा दर्जन गांव पर खतरा मंडरा रहा है। कटाव खतरा से ग्रामीण दहशतजदा हैं। गंगा नदी ने करीब सैकडों एकड़ जमीन को अपने गर्भ में विलीन कर लिया है। अब नदी गांव से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर बह रही है। आशंका है कि यदि कटाव जारी रहा तो कई गांव तबाह हो जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक इन गांवों के समीप सरकार द्वारा पुर्व में कटाव निरोधी कार्य कराया गया था, लेकिन कटाव निरोधी कार्य में लूट खसोट कर इसे पूर्ण कर दिया गया। कटाव निरोधी कार्य धरातल पर नहीं दिख रहा है। इस कारण से ग्रामीण भयभीत हैं
कि यदि गंगा नदी के कटाव ने तबाही मचाई तो लगभग बीस हजार की आबादी विस्थापित होने पर मजबूर हो जाएंगे। दूसरी ओर कटाव की गति को देखते हुए स्थानीय ग्रामीणों को अपने घर द्वार के गंगा में समाने की चिंता सता रही है। लोगों की उपजाऊ जमीन रोजाना गंगा के गर्भ में समाहित हो रहा है। उपजाऊ जमीन के कटने से लोगों के समक्ष परिवार के लालन पालन की समस्या उत्पन्न हो रहा है। लोग अपनी उपजाऊ जमीन पर खेती बाड़ी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते आ रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि फोन पर बाढ़ नियंत्रण विभाग के मुख्य अभियंता और कार्यपालक अभियंता से सुरक्षा की गुहार लगाई गई
परन्तु इस ओर अधिकारियों द्वारा कोई पहल नहीं की जा रही है। इस बाबत ग्रामीण अरूण कुमार यादव, योगेन्द्र महतो, बेदानंद यादव, कर्मा देवी, ललीता देवी आदि ने बताया कि नदी के द्वारा लगातार कटाव किए जाने से स्थानीय लोग दहशत के साये में जी रहे हैं। पता नहीं कब नदी हमारे आशियाने को अपने गर्भ में समाहित कर ले। रोजाना कटाव हो रहा है। सैकडों एकड़ खेती योग्य जमीन गंगा में समा चुका है। ग्रामीणों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों से इस ओर पहल कर कटाव निरोधी कार्य करने की मांग की है।