गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट
बच्चों की शिक्षा व सम्पूर्ण विकास के साथ उनके आसान तरीकों से सीखने की क्षमता को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है. जिला में बच्चों के बेहतर शिक्षा के लिए समेकित बाल विकास परियोजना विभाग द्वारा निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं. इसमें बाल प्रखंड बाल विकास परियोजना अधिकारियों का नियमित प्रशिक्षण भी शामिल है. इस क्रम में बुधवार को बोधगया के निजी होटल ऑक्स (OAKS) में सभी प्रखंडों के महिला पर्यवेक्षिका को प्रशिक्षण दिया गया. . इस मौके पर जिला प्रोग्राम कार्यलय, गया कार्यक्रम पदाधिकारी भारती प्रियमबदा तथा जिला समन्व्यक सबा सुलताना सहित सेव द चिल्ड्रेन की असिसटेंट मैनेजर गजाला शाहीन और प्रखंडों के सभी महिला पर्यवेक्षिका मौजूद रहे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में गुणवर्ता पूर्ण बुनियादी भाषा और संख्या ज्ञान के तहत सेव द चिल्ड्र्न के मानपुर ब्लॉक के पायलट प्रोजेक्ट बैक टू बेसिक प्रोग्राम को बिस्तार से बताया गया बैक टू बेसिक्स प्रोजेक्ट के तहत रेडी टू लर्न फाउंडेशनल लिट्रेसी एवं न्यूम्रेसी विषय का कार्यशाला आयोजन किया गया.जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने बताया कि सेव द चिल्ड्रेन संस्था की मदद से सभी प्रखंडों के महिला पर्यवेक्षिका का क्षमतावर्धन किया गया है. कार्यशाला के दौरान बच्चों के लिए बनायी गयी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर भी चर्चा की गयी. बच्चों के विकास मे बुनियादी भाषा एवं संख्या ज्ञान की विकास मुख्य हैं, बताया गया कि कार्यशाला का उद्देश्य महिला पर्यवेक्षिका के क्षमतावर्धन कर बच्चों के शिक्षा, खेलकूद, मनोरंजन और सांस्कृतिक क्रियाकलापों के माध्यम से उनके भाषा, संख्या ज्ञान ,शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेदनात्मक विकास करना है. . कार्यशाला की मदद से महिला पर्यवेक्षिका अपने प्रखंडों में आंगनबाड़ी पर आने वाले बच्चों में साक्षरता बढ़ाने और गणित जैसे विषयों को खेल खेल में आसान बनाने के लिए काम करेंगी.
कार्यशाला के दौरान बताया कि बच्चों के शुरूआती क्षण महत्वपूर्ण होते हैं जिसका असर उनके संपूर्ण जीवनकाल पर पड़ता है. जन्म के साथ ही शिशु के मस्तिष्क तेजी से विकसित होता है और उसका शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य, सीखने की क्षमता आसपास के वातावरण से प्रभावित होती है. बच्चों के शून्य से आठ साल तक होने तक उनकी नींव को बेहतर बनाने की जरूरत होती है. इसलिए प्रारंभिक बाल शिक्षा और विकास हर स्तर पर बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने का काम करती हैं. कार्यशाला का उद्देश्य सभी छोटे बच्चों को उनका यह अधिकार सुनिश्चित कराना है. इन सबके साथ बच्चों के उचित पोषण तथा इसमें उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर भी चर्चा
की गयी. बताया गया कि बच्चों के भरपूर देखभाल आवश्यक है और नियमित रूप से आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों के शिक्षा एवं पोषण का अनुश्रवण किया जाना आवश्यक है.