गव्हाची पेरणी करताना कोणती खते द्यावीत? सोबत जाणून घ्या इतरही पिकांचे व्यवस्थापन

नमस्ते कृषि ऑनलाइन: वर्तमान में राज्य के अधिकांश हिस्सों में कपास सोयाबीन की फसल की कटाई चल रही है और रबी फसलों की बुवाई चल रही है। ऐसे में वसंतराव नायक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, परभणी में ग्रामीण कृषि मौसम सेवा योजना की विशेषज्ञ समिति ने कृषि मौसम के आधार पर कृषि सलाह की सिफारिश इस प्रकार की है।

फसल प्रबंधन


1)गेहूं – बागवानी गेहूं की समय से बुवाई की अवधि 01 नवंबर से 15 नवंबर है। समय पर बुवाई के लिए त्र्यंबक, गोदावरी, फुले साधन आदि किस्मों में से चुनना चाहिए। गेहूँ की बुवाई करते समय 50 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फास्फोरस एवं 50 किग्रा पलाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए, इसके लिए 10 का 192 किग्रा: 26:26 + 67 किलो यूरिया या 109 किलो डायमोनियम फास्फेट + 66 किलो यूरिया या 313 किलो सिंगल सुपर फास्फेट + 84 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश + 109 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए।

2) कपास : कपास की उस फसल में तुड़ाई करनी चाहिए जो समय पर बोई गई हो और तुड़ाई के लिए तैयार हो। चुनी हुई कपास को भंडारण से पहले धूप में सुखाना चाहिए ताकि कपास की गुणवत्ता खराब न हो। कपास की फसल में कपास की फसल का प्रकोप होने पर इसके प्रबंधन के लिए पन्द्रह दिनों के अंतराल पर 20 ग्राम मैग्नीशियम सल्फेट प्रति 10 लीटर पानी में दो छिड़काव करना चाहिए। कपास की फसल में रस चूसने वाले कीड़ों (बोतल, सुंडी, सफेद मक्खी) के प्रबंधन के लिए 5% निम्बोली का अर्क या लाइकेनिसिलियम लाइसेंसी (जैविक कवकनाशी) एक किलो या फालोनिकिमाइड 50% 60 ग्राम या डाइनेटोफ्यूरॉन 20% 60 ग्राम या पाइरीप्रोक्सीफेन 5% + डिफेंथ्यूरॉन 25 % (पूर्व मिश्रित कीटनाशक) का छिड़काव 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए। कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी के प्रबंधन के लिए 5 हेक्टेयर गुलाबी सूंड के ट्रैप लगाए जाने चाहिए। यदि संक्रमण अधिक है तो प्रोफेनोफॉस 50% 400 मिली या एमेमेक्टिन बेंजोएट 5% 88 ग्राम या प्रोफेनोफॉस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% 400 मिली या थियोडिकार्ब 75% 400 ग्राम प्रति एकड़ बारी-बारी से स्प्रे करें। यदि कपास की फसल में दहिया रोग का प्रकोप देखा जाता है तो एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + डिफेनकोनाज़ोल 11.4% एससी 10 मिली या क्रेसोक्सिम-मिथाइल 44.3% एससी 10 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।


3) तूर-उपरोक्त फली छेदक के प्रबंधन के लिए 5% निंबोली अर्क या क्विनॉलफॉस 25% 20 मिली या इमैमेक्टिन बेंजोएट 5% 4.5 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी का छिड़काव करें। अरहर की फसल में स्मट के प्रबंधन के लिए 3 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर एनएए का छिड़काव करना चाहिए।

4) रब्बी मूंगफली – बुवाई के तीन से छह सप्ताह बाद दो निराई और एक निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।


5) रब्बी माका- इस फसल की बुवाई नवम्बर तक की जा सकती है। बुवाई 60X30 सेमी की दूरी पर करनी चाहिए। बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 15 किलो बीज का प्रयोग करना चाहिए। बुवाई से पहले बीजोपचार करना चाहिए।

6) रबी ज्वारिक– पहली बुवाई फसल में बुवाई के 15 से 20 दिन बाद करनी चाहिए।


7) रब्बी सूरजमुखी – अगर फसल को बोने के 20 दिन हो गए हैं तो पहली निराई करनी चाहिए.


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