डेस्क: दक्षिण भारत में टाटा समूह कंपनी इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री में करीब 45,000 महिला श्रमिकों की भर्ती करने वाला है। आने वाले 18 से 24 महीनों में ये काम पूरा होने का लक्ष्य बनाया और पूरा करने करने की योजना बनाई जा रही है। इस फैक्ट्री में टाटा समूह द्वारा आईफोन के कॉम्पोनेंट बनाए जाते हैं। ये भर्ती कंपनी ऐसा ऐपल इंक से और अधिक व्यापार हासिल करने की मंशा से कर रही है।
टाटा समूह के इस फैक्ट्री में अभी करीब 10 हजार श्रमिक काम करते हैं जिनमें ज्यादातर महिलाएं ही हैं। इस प्लांट में आईफोन की केसिंग (उसका ऊपरी ढांचा) तैयार की जाती है। मालूम हो ऐपल इस समय चीन के बाहर भी कई देशों में आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग को और ज्यादा बढ़ाने की कोशिश में लगी है। साथ ही टाटा उन भारतीय कंपनियों में शामिल है जो मैन्युफैक्चर करने के लिए ऐपल के सामने विकल्प पेश कर रही हैं।
औसत वेतन से 40% सैलरी ज्यादा
औसत वेतन से 40% सैलरी ज्यादा : टाटा समूह का ये प्लांट तमिलनाडु में स्थित। जिसमें सितंबर के महीने में करीब 5,000 महिलाओं को नौकरी पर रखा गया था। उस समय इन्हें 16000 रुपये का मासिक वेतन के ऑफर के साथ भर्ती किया गया। मालूम हो इन महिलाओं को इस तरह के काम में लगे अन्य श्रमिकों के तुलना में 40% ज्यादा है। साथ ही उन्हें प्लांट के अंदर इन्हें रहने व खाने की मुफ्त सुविधा दी जाती है। टाटा इनके प्रशिक्षण की भी योजना बना रही है।
टाटा और विस्ट्रॉन का गठजोड़
टाटा और विस्ट्रॉन का गठजोड़ : सामने आई जानकारी के मुताबिक, भारत में आईफोन मैन्युफैक्चर करने वाली कंपनी विस्ट्रॉन और टाटा ग्रुप इसका निर्माण शुरू करने के लिए जॉइंट वेंचर (जेवी) की योजना पर काम कर रही है। बता दें भारत में फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन कार्प और पेगाट्रॉन कार्प आईफोन का निर्माण करते हैं। हालांकि बीते कुछ समय से इन्होंने यहां आइफोन का आउटपुट बढ़ा दिया है।
चीन से कारोबार कम करने के प्रयासरत एपल
चीन से कारोबार कम करने के प्रयासरत एपल : हालांकि इस बारे में दोनों कंपनियों द्वारा कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। साथ ही ये बात भी सामने आ रही है कि ऐपल चीन में कारोबार को घटाने का प्रयास कर रहा है। दरअसल, केवल ऐपल ही नहीं अन्य कई कंपनियां ऐसा कर रही हैं। कोविड-19 के दौरान वहां लगे सख्त लॉकडाउन की वजह से वहां आपूर्ति श्रृंखला बड़े पैमाने पर बाधित हो रही है। इसके अलावा अमेरिका और चीन के बीच तनाव से भी ये बात बढ़ती दिख रही है। इसलिए अमेरिका कंपनियां भारत और फिलिपींस को विकल्पों के रूप में देख रही हैं।