टीबी के खिलाफ एकजुट लड़ाई लड़ने की आवश्यकता

IMG 20220824 WA0129 पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

पूर्णिया : टीबी मुक्त भारत अभियान को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से जुटा हुआ है। इसके खिलाफ हम सभी को एक जुट होकर लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है। अक्सर यह बीमारी गरीब परिवार, कुपोषित व्यक्तियों सहित बच्चों में होती है। सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कि टीबी मुक्त करने के लिए सक्रिय रोगियों की खोज, निजी चिकित्सकों की सहभागिता, मल्टीसेक्टरल रेस्पांस, टीबी की दवाओं के साथ विशेष रूप से समुदाय के बीच पहुंच बनाने के लिए जिले  के सभी चिकित्सा पदाधिकारियों, स्वास्थ्य प्रबंधक, बीसीएम, आशा कार्यकर्ताओं को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। समय-समय पर आशा कार्यकर्ताओं के साथ सामुदायिक स्तर पर बैठक आयोजित कर जागरूक किया जाता है

IMG 20220425 WA0027 पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

टीबी संक्रमित मरीज़ों में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती हैं कमजोर: एमओआईसी

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शरद कुमार ने बताया कि स्थानीय क्षेत्र में टीबी संक्रमण को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा ओपीडी के माध्यम से पहचान की जाती है। इसके साथ ही एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं द्वारा भी क्षेत्र भ्रमण के दौरान खोजबीन की जाती है। अत्यधिक भीड़, कच्चे मकान, घर के अंदर प्रदूषित हवा, प्रवासी, मधुमेह, एचआईवी के अलावा धूम्रपान भी टीबी संक्रमण के कारण होते हैं। जिस कारण संक्रमित मरीज़ों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाता है। स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सहित जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी के मरीजों के इलाज की व्यवस्था पूरी तरह से नि:शुल्क उपलब्ध है। टीबी मरीज़ों को इलाज की अवधि तक 500 रुपए प्रति महीने पौष्टिक आहार के लिए दिया जाता है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए टीबी मरीज के पास चिकित्सक का पुर्जा, आधार कार्ड या कोई भी सरकारी पहचान पत्र एवं बैंक पासबुक की छाया प्रति अपने अस्पताल या निजी चिकित्सकों के यहां जमा करना होता है

IMG 20211103 WA0102 पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

आशा कार्यकर्ताओं द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर टीबी मरीज़ों की होती है खोज: बीएचएम 

See also  यदि चलती Train में ड्राइवर सो जाए तो क्या होगा? कभी सोचा है आपने.. आज जान लीजिए..

पूर्णिया पूर्व पीएचसी के बीएचएम विभव कुमार ने बताया कि टीबी के लक्षण वाले संभावित संक्रमित मरीज मिलने के बाद बलगम की जांच कराई जाती है। टीबी रोग पर नियंत्रण करने को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करने का प्रयास भी किया जाता है। स्थानीय पीएचसी के अलावा सामुदायिक स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं के साथ ही टीबी संक्रमित मरीजों के साथ बैठक आयोजित कर फ़ॉलोअप भी किया जाता है। आशा कार्यकर्ताओं द्वारा क्षेत्र में डोर टू डोर भ्रमण कर टीबी रोगी सघन खोज अभियान किया जाता है। टीबी के लक्षण वाले संभावित संक्रमित मरीज मिलने के बाद बलगम की जांच कराई जाती है। साथ ही टीबी रोग पर नियंत्रण करने को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करने का प्रयास भी किया जाता है

IMG 20220716 WA0110 पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

निजी चिकित्सकों और उपचार समर्थकों को भी जाती है प्रोत्साहन राशि: डॉ मोहम्मद साबिर

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ मोहम्मद साबिर ने बताया कि  “निक्षय योजना” के तहत टीबी मरीजों के अलावा निजी चिकित्सकों को टीबी मरीज का नोटिफिकेशन कराने पर 500 रुपये और इलाज पूरा होने या आउटकम मिलने पर 500 रुपये कुल 1000 रुपये की आर्थिक प्रोत्साहन राशि डीबीटी के माध्यम से सरकार द्वारा दी जाती है। ट्रीटमेंट सपोर्टर के रूप में आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं के साथ ही एनओआईसी से प्रशिक्षित वोलेंटियर को ड्रग सेंसेटिव फर्स्ट लाइन मरीज की पहचान कर नोटिफिकेशन करवाने पर 1000 रुपये और ड्रग रेस्टेन्ट सेकेंड लाइन मरीज की पहचान कर नोटिफिकेशन करवाने पर 5000 रुपये तक की सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से सरकार के द्वारा दी जाती है।

Leave a Comment