डेस्क : अभी विश्वभर में उजबेकिस्तान का समरकंद चर्चा में है और इसके चर्चा में आने का कारण है यहां होने वाली एससीओ समिट. 15 और 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की मीटिंग होगी और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शिरकत करेंगे. जिस समरकंद की चर्चा एसईओ समिट की वजह से हो रही है, उस समरकंद को तानाशाह तैमूर की वजह से जाना जाता है. इस जगह से तैमूल लंग के नाम से मशहूर तैमूर का खास नाता रहा है और यहां ही तैमूर की कब्र है.
कई तरह की कहानियां तैमूर की कब्र को लेकर भी प्रचलित है. कहा जाता है कि किसी ने भी इस कब्र को लेकर छेड़छाड़ की है तो उसे दिक्कत का सामना करना पड़ा है. साथ ही तैमूर की कब्र पर यह लिखा भी है कि कोई इसे अगर हटाने की कोशिश करेगा तो उसके साथ ठीक नहीं होगा. तो जानते हैं तैमूर कि क्या कहानी है कब्र की और क्यों इस कब्र की ज्यादा चर्चा की जाती है….
साल 1336 में तैमूर का जन्म शाहरीस्बाज में हुआ था, जो समरकंद से ज्यादा दूर नहीं है. कई लोग इसे समरकंद का हिस्सा ही मानते हैं और इसलिए इसे तैमूर की जन्मस्थली कहा जाता है. यह तुर्की-मंगोल बादशाह तैमूर द्वारा स्थापित तैमूरी साम्राज्य की राजधानी रहा है और इसलिए कई चीजें तैमूर से जुड़ी हैं.
अब बात करते हैं कि क्यों तैमूर को खूंखार माना जाता है. कई ऐसी कहानियां इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं, जो बताती हैं कि तैमूर काफी खतरनाक रहा है. भारत में भी तैमूर ने कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इसकी बर्बरता इराक, अफगानिस्तान, ईरान, जॉर्जिया, पाकिस्तान, अजरबैजान, उज्बेकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान तक फैली थी. कहा जाता है कि करीब 1 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत के लिए तैमूर जिम्मेदार था.
उनकी कब्र के लिए कहा कहा जाता है कि उस पर लिखा था कि मैं अपनी मौत के बाद जब खड़ा होउंगा तो दुनिया कांप उठेगी. इसके साथ ही कब्र पर यह भी लिखा था कि जो कोई भी मेरी कब्र को खोलेगा, मुझसे भी भयानक दुश्मन उसे मिलेगा. इस वजह से कई शासक आए, लेकिन कब्र को उन्होंने नुकसान नहीं पहुंचाया था. हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ ये लिखा ही गया है, कई बार ये चेतावनी सच भी साबित हुई है. जी हां, कब्र से जिन शासकों ने छेड़छाड़ की थी, उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ा.
डेली ओ में छपे एक लेख के मुताबिक़,रूस के शासक जोसेफ स्टालिन ने भी साल 1941 में इस कब्र को खुदवाने का प्रयास किया था. रसियन एंथ्रोपॉलॉजिस्ट मिखैल गेरासिमॉव को स्टालिन ने इस काम के लिए भेजा था, ताकि तैमूर की बॉडी की रेप्लिका बनाई जाए. कहा जाता है कि सोवियत यूनियन पर कब्र खोदने के एक दिन बाद ही 11 जून 1941 को हिटलर ने हमला कर दिया था. इसके बाद इस कब्र को फिर से दफना दिया गया और इसके बाद यह युद्ध शांत हो गया.