पटना/सिटीहलचल न्यूज़
बिहार में निकाय चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट के आदेश पर बिहार की जनता की आज टकटकी नजर थी। आज पटना हाईकोर्ट ने साफ कह दिया कि जब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं माना जायेगा, तब तक चुनाव संभव नहीं है। अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन सरकार करती है तो कभी भी चुनाव करा सकती है। यानी अब गेंद पूरी तरह से बिहार सरकार के पाले में है, आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो ट्रिपल टेस्ट के आदेश दिए है, जब इसे सरकार पूरा कर ले, उसके बाद चुनाव करा सकती है
मालूम हो कि हाईकोर्ट में बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट के आदेश को मानने की बात कही थी और पुनर्विचार याचिका दायर की थी। जिसके बाद बुधवार को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश मानने की शर्त पर बिहार में नगर निकाय चुनाव कराने की अनुमति दी है। हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय करोल की बेंच ने सरकार द्वारा दिये गये आश्वासन के आधार पर निकाय चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी है
वही हाईकोर्ट में राज्य निर्वाचन आयोग ने भी अपना पक्ष रखा है। आयोग ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय मानकों का पालन कर बिहार में दिसंबर से पहले चुनाव कराने को तैयार है, क्योंकि उनकी तैयारी पहले से ही पूरी है। जबकि कोर्ट में राज्य सरकार ने ये भरोसा दिलाया है कि अति पिछड़ा आयोग की अनुशंसा पर नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग के लिए सीटें तय कर उन्हें बताएंगे। अब जबतक बिहार सरकार यह नहीं बताती तब तक चुनाव संभव नहीं है। जितना जल्दी सरकार सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन को पूरा कर आरक्षण रोस्टर जारी करेगी, उतना जल्दी चुनाव हो सकता है। मगर यह सारी प्रक्रिया पूरा करने में सरकार को कम से कम 2 माह का समय लगेगा। इसलिए संभवतः निकाय चुनाव अगले साल जनवरी तक हो।