नीतीश कुमार के साथ जाने का मन कैसे बनाया?, लालू यादव की गैरमौजूदगी में कैसे लिया फैसला, डिप्टी CM तेजस्वी ने सब बताया

लाइव सिटीज पटना: नीतीश कुमार ने एक बार फिर लालू यादव की पार्टी आरजेडी के साथ मिलकर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई है. बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद नीतीश कुमार ने बुधवार को आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव दूसरी बार बिहार के डिप्टी सीएम बने हैं. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव इस समय दिल्ली में अपनी बेटी के पास रहकर अपनी बीमारी का इलाज करा रहे हैं. ऐसे में जब बिहार में सत्ता का फेरबदल हो रहा था तो लालू यादव पटना में नहीं थे. बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बताया कि कैसे लालू यादव की गैरमौजूदगी में उन्होंने नीतीश कुमार के साथ जाने का मन बनाया. और अपने पिता की गैरमौजूदगी में उन्होंने इतना बड़ा फैसला कैसे लिया.

नीतीश कुमार के साथ जाने को लेकर तेजस्वी यादव ने बताया कि हम लोगों की राजनीतिक परिस्थितियों पर पहले से ही नजर थी. लगातार खबरों के माध्यम से और जब हम सदन में सामने होते थे तो साफ दिखाई देता था कि नीतीश कुमार असहज महसूस कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उप राष्ट्रपति चुनाव हुए, इसके बाद हम लोग सड़कों पर महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ मार्च कर रहे थे. उसके अगले दिन हमने बैठक बुलाई. क्योंकि खबरों से लगातार यह माहौल दिखाई दे रहा था कि शायद नीतीश कुमार जी नाराज हैं और कहीं ना कहीं कुछ बड़ा फैसला लेने जा रहे हैं.

नीतीश कुमार के साथ जाने का मन कैसे बनाया? इस सवाल के जवाब देते हुए तेजस्वी यादव ने बताया कि देश का जो माहौल है, हर तरफ सांप्रदायिक तनाव है और गंगा जमुनी तहजीब पर खतरा है. लोकतंत्र और संविधान पर खतरा है. देश में अराजकता का माहौल बना हुआ है. संवैधानिक संस्थाओं को तबाह किया जा रहा है. यह हम लोगों की ड्यूटी है कि किसी भी कीमत पर हम लोग समाजवादी लोगों का सहयोग करें. उन्होंने कहा कि जब बिहार में यह सब घटनाक्रम हुआ तो नीतीश कुमार जी राज्यपाल को इस्तीफा सौंपकर आए. और उन्होंने अपनी बात रखी. इसके बाद महागठबंधन में सब लोगों का उनके साथ जाने का मन बना.

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बता दें कि नीतीश कुमार ने साल 2015 में एनडीए का साथ छोड़ दिया था, जिसके बाद महागठबंधन के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा था. और भारी बहुमत के साथ जीतकर नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता के रूप में मुख्यमंत्री बने. हालांकि दो साल बाद ही 2017 में वे NDA में लौट आए. 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने केंद्र में भारी बहुमत से काबिज भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा. हालांकि जदयू को 243 सदस्यीय विधानसभा में 45 सीट पर ही संतोष करना पड़ा. जबकि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. वहीं बीजेपी को भी जदयू से ज्यादा सीटें हासिल हुई.

बतातें चलें कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बन गई है. नीतीश कुमार ने आठवीं बार सीएम पद की शपथ ली तो वहीं तेजस्वी यादव दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बने हैं. बुधवार को शपथ ग्रहण के बाद राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के लिए नीतीश कुमार को 14 दिनों का समय दिया. बुधवार को ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने कैबिनेट की पहली बैठक की. इस बैठक में फैसला हुआ कि 24 और 25 अगस्त को बिहार में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा. 24 अगस्त के दिन फ्लोर टेस्ट होगा. इससे पहले मंगलवार को जब नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था तो उन्हें 164 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी थी. इसमें सात पार्टियों के विधायक शामिल हैं. इसमें जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट और जीतन राम मांझी की हम पार्टी के विधायक शामिल है.

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