पटना हाईकोर्ट ने बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 में; मार्च, 2021 में राज्य सरकार को द्वारा किए गए संशोधनों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया

21 अक्टूबर 2022 ।  पटना हाईकोर्ट ने बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 में मार्च, 2021 में राज्य सरकार को द्वारा किए गए संशोधनों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया। इसकी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने 13अक्टूबर,2022 सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा लिया था।

चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने डा आशीष कुमार सिन्हा व अन्य की याचिकाओं पर महत्वपूर्ण फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि निगम के सी और डी श्रेणी की नियुक्ति का अधिकार पूर्ववत निगम के अधिकार क्षेत्र में होगा।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शक्ति प्राप्त स्टैंडिंग कमिटी एक स्वतन्त्र निर्वाचित संस्था है।उसे राज्य सरकार या कोई अन्य संस्था उनका निरीक्षण नहीं कर सकती हैं।कोर्ट ने ये भी कहा कि 74वें संवैधानिक संशोधन के बाद नगर निकाय सांविधानिक हैसियत रखती हैं।उनकी शक्ति को कम करना या। खत्म करना असंवैधानिक होगा।

यह मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को याचिकाकर्ताओं की अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इस संशोधन के तहत नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है। यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है।

अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है। उनका कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए।

कोर्ट को आगे यह भी बताया गया था कि चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी केटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है। जबकि सी और डी केटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है।

31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी केटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिये गए है।

कोर्ट ने इस संशोधन को रद्द करते हुए सी और डी श्रेणी के कर्माचारियों की नियुक्ति का अधिकार नगर निगमों को पहले की भांति दे दिया हैं।

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *