पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों के आंख की रौशनी खो जाने के मामले पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 3 सप्ताह का मोहलत दिया।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में निदेशक प्रमुख,स्वास्थ्य सेवा और सिविल सर्जन, मुजफ्फरपुर द्वारा हलफनामा नहीं दायर करने को गम्भीरता से लिया थ।पूर्व की सुनवाई में मुजफ्फरपुर के एस एस पी को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया था।मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामलें में दर्ज प्राथमिकी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई में कहा था कि इस मामलें में गठित डॉक्टरों की कमिटी को चार सप्ताह मे अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

इसमें कोर्ट को बताया गया था कि आँखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं।साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफ आई आर दर्ज कराया गया था,लेकिन अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई ।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आँखें की रोशनी खोनी पड़ी।

याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी ऑंखें गंवानी पड़ी।

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इस मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह के फिर सुनवाई की जाएगी।

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