पटना हाईकोर्ट ने शराबबन्दी कानून के तहत जब्त गाड़ियों को छुड़ाने हेतु बढ़ रहे रिट याचिकाओं की बढ़ती संख्या पर नाराजगी जाहिर की

चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने इस स्थिति पर सख़्त टिप्पणी करते हुए राज्य के उत्पाद आयुक्त को निर्देश दिया कि वो एक हफ्ते मे कोर्ट को विस्तृत आंकड़े दे, जिसमे ये जानकारियां हो कि पिछले तीन माह मे राज्य मे कितने लोगों को शराबबन्दी कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है।

साथ ही कोर्ट को यह भी बताना है की हरेक ज़िलों मे ज़ब्त हुई गाड़ियों के जब्ती हेतु कितने मामले लम्बित पड़े हैं ।कोर्ट ने यूनाइटेड स्पिरिट्स की रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया।

कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि महज देढ़ लीटर शराब पाए जाने पर पूरे गाड़ी को सालों भर जब्त कर रखा जाना न्यायसंगत है क्या। साथ ही उसे छुड़ाने हेतु दायर आवेदन को कलेक्टर एक घिसे पिटे ढंग से रद्द कर देते है।

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कलेक्टर के आदेश को ही अपीलीय और रिविजिनल प्राधिकार बिना विवेक का इस्तमाल किये और घिसे पिटे तरीके से संपुष्ट कर देते हैं।

अपील और रिविजन के आदेश समान ही दिखते है , कलेक्टर के आदेश से ऐसा मेल खाते हैं। जो त्रुटि कलेक्टर के आदेश मे दिखती है, वही गलती अपील व रिविजन प्राधिकार के आदेश में भी नजर आती है।
मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।

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