ये जनहित याचिका धर्मशीला देवी ने दायर की है। इस जनहित याचिका की चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के एडवोकेटजनरल और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वरुण सिन्हा को इस मुद्दे को स्पष्ट करने को कहा कि चुनाव पूर्व गठबंधन को खत्म करने के सम्बन्ध में संवैधानिक और कानूनी प्रावधान क्या है।
कोर्ट ने सुनवाई के शुरुआत में याचिकाकर्ता वरुण सिन्हा से जानना चाहा कि क्या कोई ऐसा कानून है,जिसके तहत चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ा जा सकता है या नहीं।
इस जनहित याचिका में ये कहा गया है कि 2020 में नीतीश कुमार ने एन डी ए के साथ चुनाव लड़ा और उनके साथ सरकार बनायीं।लेकिन फिर उन्होंने यह गठबंधन छोड़ कर राजद व अन्य दलों के महागठबंधन की सरकार बना कर फिर मुख्यमंत्री बन गए।
ये संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन और जनादेश का अपमान हैं।याचिका में यह कहा गया है कि संविधान के प्रावधानों के 163 और 164 के तहत राज्यपाल को नीतीश कुमार को पुनः मुख्यमंत्री नहीं नियुक्त करना चाहिए था, क्योंकि उन्होंने बहुमत वाले गठबंधन को छोड़ कर अल्पसंख्यक वाले गठबंधन के साथ सरकार बना ली।
इससे पहले भी 2017 में भी नीतीश कुमार ने राजद के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने बाद राजद छोड़ कर बीजेपी के साथ सरकार बना का मुख्यमंत्री बने।जिस गठबंधन के आधार मत ले कर सरकार बनाते है,बाद में उसी जनादेश नजरअंदाज और अपमान कर दूसरे गठबंधन के साथ मिल कर सरकार बना ली हैं।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 सितम्बर,2022 को की जाएगी।