बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पितृपक्ष मेला में देश-विदेश के श्रद्धालु आते हैं। मेला शुरू होने से पहले सभी विभागीय पदाधिकारी अपने-अपने विभागों की समीक्षा कर व्यवस्था को दुरुस्त कर लें। किसी भी पिंडदानियों को गया की पावन भूमि पर असुविधा नहीं होनी चाहिए।
उक्त बातें सोमवार को गया के समाहरणालय में पितृपक्ष मेला की समीक्षा बैठक में सीएम ने कहीं। गया एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विष्णुपद मंदिर पहुंचे. विष्णुपद पहुंचकर सीएम ने विष्णु चरण की पूजा की. इसके बाद वे बिहार के गया में बने पहले रबर डैम का निरीक्षण करने पहुंचे. रबड़ डैम का काम देख सीएम काफी प्रफुल्लित नजर आए।
नीतीश कुमार ने ने रबर डैम का किया निरीक्षण
सीएम नीतीश ने रबर डैम का किया निरीक्षण: वहीं उन्होंने इसके संबंध में अधिकारियों से जानकारी भी ली. गौरतलब हो कि गया के विष्णुपद स्थित फल्गु नदी पर रबर डैम बनाया गया है, जिसमें 3 फीट तक पानी उपलब्ध रहेगा. सलिला मानी जाने वाली फल्गु नदी में इस बार 3 फीट तक पानी की उपलब्धता के बीच पिंडदान तर्पण श्रद्धालु कर सकेंगे।
9 सितंबर से पितृपक्ष मेला की शुरुआत: महागठबंधन की सरकार बनने के बाद यह पहली बैठक है, जिसमें कई विभागों के मंत्री और आला अधिकारी शामिल हैं. यह बैठक पटना से बाहर हो रही है. पितृपक्ष मेले की तैयारी की रिपोर्ट लेने के बाद मुख्यमंत्री दिशा निर्देश भी देंगे. 9 सितंबर को पितृपक्ष मेला 2022 की शुरुआत होगी. इसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज गया में उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक करेंगे।
इस बैठक में कला संस्कृति और युवा विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पर्यटन विभाग, जल संसाधन विभाग सहित कई विभागों के मंत्री और अधिकारी मौजूद रहेंगे. वहीं सीएम ने रबर डैम का भी निरीक्षण किया. श्रद्धालुओं के लिए पहली बार रबर डैम का निर्माण किया गया है, जिससे मंदिर के पास नदी का पानी श्रद्धालुओं को आसानी से मिल सकेगा।
पितृ पक्ष मैं क्यों करते हैं पिंडदान?
हिंदू धर्म में व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात उसे पितृ की संज्ञा दी जाती है. मान्यता अनुसार मृतक का श्राद्ध या तर्पण न करने से पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती है, जिससे घर में पितृ दोष लगता है और घर पर कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
वहीं जिनके घर के पितृ प्रसन्न रहते हैं उनके घर कभी कोई मुसीबत नहीं आती है. ऐसे में पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए आश्विन माह में 15 दिन का पितृ पक्ष समर्पित होता है, इस बीच पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध किया जाता है।