पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव
पूर्णिया : ज़िले में बाढ़ से पहले आवश्यकता अनुसार संसाधनों की आपूर्ति अनिवार्य रूप से करना होता है। इसके साथ ही गर्भवती एवं धातृ महिलाओं, किशोरियों, नवजात शिशुओं को सुरक्षित रखने के लिए भी तत्पर रहने की आवश्यकता होती है। बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर बिहार राज्य आपदा जोख़िम न्यूनीकरण रोड मैप 2015 से 2030 तक को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन दीपालय मानसिक विकलांग एवं पुनर्वास संस्थान के सभागार में किया गया। इसकी अध्यक्षता जिला आपदा प्रबंधन इकाई के आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ सह सलाहकार आदित्य रंजन ने किया। मंच संचालन जीपीएसवीएस (यूनिसेफ) के जिला समन्वयक (आपदा) अशोक कुमार ने किया। इस अवसर पर नेहरू युवा केन्द्र के जिला समन्वयक सत्य प्रकाश, जीपीएसवीएस (पोषण) के जिला समन्वयक प्रफुल्ल कुमार, केयर इंडिया के डीपीएचओ सनत गुहा, जीत के चंदन कुमार, फ़िजा से युगल किशोर, फिनिश सोसाइटी से सरोज गौड़, सिफार से धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी, मोहम्मद साबिर, उपेंद्र कुमार मल्लिक, रमेश कुमार सहित कई अन्य सामाजिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता उपस्थित थे
बाढ़ एवं जल जनित रोगों से निपटने में महामारी रोकथाम समिति करती हैं सहयोग: आदित्य रंजन
आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ सह सलाहकार आदित्य रंजन ने कहा कि जिले के बैसा, अमौर, बायसी, धमदाहा एवं रुपौली सहित कई अन्य प्रखंड क्षेत्र की नदियों के जलस्तर में काफ़ी वृद्धि हो रही है। ऐसे में जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस की ओर से बाढ़ से निपटने के लिए तैयारी शुरू कर दी गयी है। बाढ़ के कारण संस्थागत प्रसव एवं नियमित टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित होने से बचाने की तैयारी की जा रही है। जिला स्तर पर जिलाधिकारी एवं अनुमंडल पदाधिकारी अपने-अपने स्तर से संबंधित क्षेत्रों में महामारी रोकथाम समिति का गठन करते हैं
बाढ़ के समय जलजमाव के कारण मच्छरों का बढ़ जाता है प्रकोप: अशोक
जीपीएसवीएस (यूनिसेफ़) के अशोक कुमार ने कहा कि बारिश में जलजमाव और बाढ़ की स्थिति के साथ ही मच्छरों के पनपने से डेंगू सहित अन्य प्रकार की जल जनित रोगों का प्रकोप बढ़ने लगता है। इसलिए डेंगू से बचाव के प्रति जागरूक रहना जरूरी है। डेंगू से बचाव के लिए साफ-सफाई एवं जागरूकता जरूरी है। डेंगू से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क है और समय-समय पर अभियान चला कर मच्छर रोधी दवा का छिड़काव कर रही है। बरसात या बाढ़ के कुछ महीने ऐसे होते हैं जब ना तो गर्मी ज्यादा होती हैं और ना ही सर्दी अधिक होती है। ऐसे मौसम में डेंगू के मच्छर ज्यादा पनपते हैं और डेंगू मरीजों के ज्यादा मामले सामने आते हैं। इसलिए अभी सावधान रहने की जरूरत है
कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की पहचान कर बाढ़ पूर्व सूची तैयार करना होगा: प्रफुल्ल
यूनिसेफ़ जीपीएसवीएस के जिला समन्वयक (पोषण) प्रफुल्ल कुमार ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाक़े में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों के उन पोषक क्षेत्रों की पहचान करना जरूरी है जहां विभिन्न प्रकार के संक्रमित लोग ज्यादातर पाए जाते हैं। उन पोषक क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करते समय विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। सभी कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की पहचान कर उनकी सूची तैयार करनी है। पोषक क्षेत्र में आने वाली गर्भवती महिलाओं एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से अति संवेदनशील महिलाओं की सूची व संभावित प्रसव की तिथि तैयार की जाती है। ताकि बाढ़ के दौरान सुरक्षित प्रसव के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सके।