लाइव सिटीज पटना: आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को पटना की सैर कराना पुलिसवालों के लिए खासा महंगा साबित हुआ है. गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड मामले में सजा काट रहे आनंद मोहन को उनके निजी आवास सहित अन्य जगहों पर ले जाने के मामले में सहरसा पुलिस के छह जवान सस्पेंड कर दिए गए हैं. सहरसा की एसपी लिपि सिंह ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए सहरसा पुलिस के 6 जवानों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. दरअसल ये सभी पुलिसकर्मी आनंद मोहन को सहरसा से कोर्ट में पेशी के लिए पटना लेकर पहुंचे थे. लेकिन पूर्व सांसद लाव-लश्कर के साथ पटना वाले अपने आवास पहुंच गए और वहां अपना दरबार सजा लिया.
एसपी लिपि सिंह ने जांच में प्रथम दृष्ट्या मामले को सत्य पाते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की है. दरअसल आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को बीते 12 अगस्त को पेशी के लिए पटना लाया गया था. जहां पेशी के बाद सहरसा मंडल कारा जाने की बजाय वो अपने पटना स्थित निजी आवास पहुंच गए और पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद, बेटे शिवहर से राजद विधायक चेतन आनंद और पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी. जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पुलिस मुख्यालय में हड़कंप मच गया था. जिसके बाद सहरसा एसपी लिपि सिंह ने मुख्यालय डीएसपी को जांच का आदेश दिया था.
मुख्यलय डीएसपी की जांच रिपोर्ट में सभी पुलिसकर्मी दोषी पाए गए हैं. डीएसपी मुख्यालय की अनुशंसा पर एसपी लिपि सिंह ने दोषी पाए गए सभी 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है. मामले में दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों में दारोगा संतोष कुमार, कांस्टेबल राजू कुमार गुप्ता, कांस्टेबल शिव प्रकाश कुमार, सिपाही दिनेश कुमार, सिपाही राजू कुमार और सैप ड्राइवर रविंद्र सिंह का नाम शामिल हैं. दरअसल रक्षाबंधन के दिन यानी 12 अगस्त को आनंद मोहन को पुलिस अभिरक्षा में सिविल कोर्ट में एक मामले में पेशी के लिए लाया गया था. इसी बीच आनंद मोहन पुलिस सुरक्षा में ही अपने परिवार के लोगों से मिलने पहुंच गए. अपने पाटलीपुत्र स्थित आवास पहुंचने के बाद पूर्व सांसद आनंद मोहन ने अपने समर्थकों के साथ बैठक भी की. आनंद मोहन के साथ उनकी पत्नी और उनके राजद से विधायक बेटे चेतन आनंद भी मौजूद रहे.
बता दें कि आनंद मोहन के अपने पटना स्थित आवास पहुंचने के लेकर पुलिस पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं. जब पुलिस अभिरक्षा में पूर्व सांसद को पेशी के लिए लाया गया था, तो वे अपने निजी आवास पर कैसे पहुंच गए. जानकार की माने तो जेल मैन्यु्अल के मुताबिक किसी कैदी को अपने वर्तमान जेल से बाहर के जिलों के कोर्ट में सीधे पेशी के लिए लाया जाता है. यदि किसी वजह से देर हुई या अगले दिन बहस होने की नौबत आती है तो कैदी को उसी स्थानीय कोर्ट के अंदर पड़ने वाले जेल में ले जाना होता है. वहीं इस मामले पर बीजेपी का कहना है कि महागठबंधन सरकार बनते ही जंगलराज वापस आ गया है.
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