बिहार में उत्क्रमित स्कूलों की दयनीय हालत पर पटना हाइकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार से जवाबतलब किया

इस सम्बन्ध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को 1नवंबर,2022 तक हलफनामा दायर कर विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया है।

बिहार सरकार ने राज्य सरकार ने 6564 प्राइमरी और मिडिल सरकारी स्कूलों को सेकंड्री और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में उत्क्रमित कर दिया।लेकिन इन स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है।

अधिकतर स्कूलों के पास नही तो पर्याप्त ज़मीन या क्लास रूम है।इन स्कूलों में शिक्षकों की काफी कमी हैं।छात्रों को पढ़ने के लिए मूलभूत सुविधाओं की काफी कमी है।शुद्ध पेय जल,शौचालय, लेबोरेट्री,लाइब्रेरी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।

इन स्कूलों को उत्क्रमित कर दिया गया है, लेकिन उन स्कूलों को आवश्यकता के अनुसार न तो मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है और न ही उनका विकास हो पाया हैं।ऐसे में किस प्रकार की शिक्षा दी जा सकती हैं।

कोर्ट ने जानना चाहा कि निजी और सरकारी स्कूलों में भेदभाव क्यों किया जाता है।कोर्ट ने कहा कि अगर निजी स्कूलों के कोई मापदंडों पूरा नहीं करता, तो उन्हें सम्बद्धता नहीं मिलता है।लेकिन सरकारी स्कूलों की ऐसी स्थिति में भी उन्हें सारी सरकारी सुविधाएँ उपलब्ध होती है।ऐसा भेदभाव क्यों होता है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 1नवंबर,2022 को की जाएगी।

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