बेगूसराय में फूल-माला से बनाई जाती है जयमंगला मां की प्रतिमा, जानें – इसके पीछे का इतिहास..

डेस्क : बेगूसराय जिले के विक्रमपुर गांव के लोग नवरात्र में पूजा करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देते हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो मां जयमंगला की असीम अनुकंपा के कारण ही गांव में सुख-शांति और समृद्धि स्थापित है. यहाँ के स्थानीय पुजारी पंकज सिंह और मृत्युंजय कुमार ने बताया कि लगभग 100 वर्ष पूर्व जयमंगलागढ़ में पहले बलि प्रदान को लेकर पहसारा और विक्रमपुर गांव में ठन गयी थी. दोनों गांव के लोग एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन बैठे थे.

तभी नवरात्र के समय विक्रमपुर गांव के ही स्व. सरयुग सिंह के सपने में माता जयमंगला आयी और उन्होंने कहा कि नवरात्रि के दौरान पहली पूजा से लेकर नवमीं को बलि प्रदान करने वो तक विक्रमपुर गांव में रहेगी. इसके पश्चात वो गढ़ लौट जाएगी. देवी ने स्वप्न में ही पूजा की विधि भी बतायी. तब से माता जयमंगला की पूजा करने की परंपरा अनवरत काल से जारी है.

माता जयमंगला की प्रतिमा फूल और बेलपत्र से बनाने की परम्परा पिछले 100 वर्षों से चली आ रही है. विक्रमपुर के ग्रामीण भक्त सबसे पहले मां जयमंगला की प्रतिमा को स्वरूप देने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार फूल और बेलपत्र एकत्रित करते हैं. इसके बाद फूल और बेलपत्र से ही माता जयमंगला को भक्तजन स्वरूप भी देते हैं. इस बार स्थानीय स्तर पर फूल उपलब्ध नहीं होने के चलते इन्हें कोलकाता से मंगवाया गया है.

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