डेस्क : कहते हैं बेटियां पराया होकर भी कभी पराई नहीं होती, शायद इसलिए कभी पिता से हंसकर बेटी की विदाई नहीं होती। इन शब्दों को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से बेहतर कौन समझेगा? 5 बेटियां और 2 बेटों के पिता लालू यादव को जब (किडनी) की जरूरत पड़ी तो उनकी बेटी ही आगे आई।
बेटियां सभी के किस्मत में कहां होती हैं, भगवान को जो घर पसंद आए वहां पर होती हैं। पिता और बेटी के रिश्ते को वो हमेशा मिस ही करते हैं, जिनकी कोई बेटी नहीं होती। तभी तो बेटियों को खिलती हुई कलियां कहा जाता है जिसके मुस्कुराने मात्र से घर आंगन खिल उठता हैं, मां-पिता के दर्द को बेटों से ज्यादा बेटियां ही समझतीं हैं।
घर को रोशन भी करतीं हैं। वैसे, बेटों के बारे में कहा है कि वे परिवार का कुल का भविष्य होता है, वंश को बढ़ाने वाला होता मगर बेटियां भविष्य (कल) होतीं हैं। हर कोई अपना भविष्य बेहतर करने के लिए जी-जान लगाए ही रहता है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि बेटियों का उनके जीवन में क्या महत्व होता है।
एक बेटी की मुस्कान पिता को मुस्कुरा देती है। हंसी दिल को छू लेती है। लालू यादव को गर्व है कि रोहिणी आचार्य उनकी बेटी है। राजद सुप्रीमो की किडनी खराब है। उनको किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ी तो बेटी ने बेहिचक पापा के लिए किडनी देने को भी तैयार हो गई। उसने एक पल भी नहीं सोचा कि उसके इसके बाद उसके जीवन का क्या होगा? उसको (रोहिणी आचार्य) तो बस इस बात की चिंता है कि उसके पापा (लालू यादव) ठीक हो जाएं। लालू प्रसाद यादव का ऑपरेशन सिंगापुर में हुआ। उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने लालू यादव को अपनी किडनी डोनेट कर दिया।