सुधांशु शेखर /सिटी हलचल न्यूज़
भाई-बहन के अटूट स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार शुक्रवार को संपन्न हुई रक्षाबंधन पर्व के आरंभ को लेकर प्राचीन कथा प्रचलित है असुर जाति पर विजय पाने के लिए इंद्राणी ने भगवान इंद्र को रक्षा का सूत्र बांधा था जिससे इंद्र को रक्षा असुरों पर विजय प्राप्त हुई थी कालांतर में 16 मी सदी के उत्तरार्ध मैं चित्तौड़ की महारानी कर्णावती के राज्य में पड़ोसी राज्य द्वारा आक्रमण किया गया था।
तब महारानी कर्णावती ने दिल्ली के बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर सहायता की गुहार लगाई थी बादशाह ने अपने राज्य के सभी कार्य छोड़कर बहन कर्णावती की सहायता की जिसमें विजय प्राप्त हुआ। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर एवं मिठाई खिलाकर आरती उतारती है इसके बाद रक्षा सूत्र बांधते है
राखी बांधने के बाद भाइयों के द्वारा बहन को उपहार स्वरूप आभूषण, वस्त्र तथा रुपए भेंट किए जाते हैं बहन अपने भाइयों से अपेक्षा करती है कि जब कभी बहन पर विपत्ति तथा ऑन पर आंज आएगी भाई जान का बाजी लगाकर बहन की रक्षा करेगी।
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