नेपाल से आदित्यनाथ
लोक आस्था का महापर्व छठ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनाई जाती है। इसका नजारा नेपाल में भी देखने को मिला। यहां के लोग दीपावली के बाद से ही छठ पूजा की तैयारी में जुट गए थे। घाट की सफाई का जिम्मा दोनों देशों के लोग स्वयं उठाते हैं। नेपाल के लोग कहते हैं कि भारत की संस्कृति हमारी आत्मा है। हर त्योहार में दोनों देश के लोग आपस में मिलते-जुलते हैं।बिहार के किशनगंज की सीमा से सटे नेपाल के भद्रपुर जिला और पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग से सटे झापा जिला को मेची नदी जोडती है। नदी के पूरब दिशा में बिहार बंगाल और पश्चिम में नेपाल के श्रद्धालु छठ पूजा के लिए जुटते हैं। नेपाल से भारत को जोड़ने के लिए सीमा पर दो बड़ा पुल भी है। सीमा पर 24 घंटे दोनों देशों की पुलिस इंडो नेपाल-बीएसएफ जवान चौकसी के लिए तैनात रहती है। भारत की सीमा से सटे भातगांव पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि ब्रजमोहन सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने कहा कि भारत की सीमा से सटे छठ घाट को तैयार करने में करीब 15 लाख रुपए खर्च किए गए हैं
पंचायत से घाट तक रोशनी और सजावट की भी व्यवथा की गई है। घाट पर पंचायत के साहनी टोला, गलगलिया, नेमुगुडी, पासवान टोला, दरभंगिया टोला, पानीटंकी, खोरीबाडी, घोषपुर आदि स्थानों के श्रद्धालु अंतराष्ट्रीय सीमा के मेची नदी किनारे छठ पूजा करने आते हैं। यहां पर आस्था का आलम है कि मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लोग भी छठ पूजा में श्रद्धा भाव से सहयोग करते हैं। नेपाल के श्रद्धालु विनायक चौधरी ने कहा कि यहां पर बिहार और उत्तर प्रदेश के काफी संख्या में लोग रहते हैं। नेपाल के भद्रपुर, चंद्रगुडी, बिर्तामोड, काकरभिटा धुलावाडी आदि स्थानों के लोग मेची नदी में अर्घ्य डालने आते हैं। घाट की सफाई कर रहे मो रेहान ने कहा कि हमलोग हर साल छठ घाट की सफाई करते हैं। यहां पर त्योहार मनाने में कोई भेदभाव नहीं है। हमलोगों का परिवार भी पूजा में शामिल होते हैं। सीमा पर बसे गांवों में बडी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं। खास बात है कि नेपाल के बाजार में छठ पूजा का सामान बिहार-बंगाल से भेजे जाते हैं। सीमा पर चौकसी रहने के कारण नदी के रास्ते सामानों की ढुलाई की जाती है
हालांकि छठ पूजा के दिन सीमा पर चौकसी में ढिलाई रहती है लेकिन संदिग्धों पर सीसीटीवी कैमरा एवं सुरक्षा उपक्रम से निगरानी रखी जाती है। हालांकि भद्रपुर के कांग्रेस विधायक ओपी सरावगी भी नेपाल के श्रद्धालुओं को सहयोग करते हैं। यहां कि सामाजिक संस्थाएं भी मदद के लिए खड़ी रहती है। भद्रपुर में छठ पर्व को लेकर एक बड़ा बाजार लगा है जो दिपावली में ही सजकर तैयार हो गई थी। यहां पर नेपाली और भोजपुरी भाषा की छठ गीतों से माहौल भक्तिमय हो गया है। मेची नदी का पार्ट करीब दो किलो मीटर चौड़ा है। भद्रपुर और काकरभिटटा पुल के दोनों ओर करीब एक-एक किलो मीटर का छठ घाट बनाया गया है। हालांकि सीमा से जुड़े गांव के लोग अलग-अलग स्थानों पर घाट तैयार कर पूजा कर रहे हैं। चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा के नहाय-खाय के दिन से दोनों देशों के अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बसे गांवों में उत्साह और उत्सव का माहौल है।