मरीज की मौत के बाद परिजनों ने किया हंगामा… जानिए पूरा मामला

pawapuri medical collage नालंदा जिला में एक बार फिर मरीज की मौत पर हंगामा हुआ है। मरीज के परिवारवालों ने हंगामा किया । जिसकी वजह से डॉक्टर ड्यूटी छोड़कर चले गए .. जिससे अन्य मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा ..

नालंदा जिला में एक बार फिर मरीज की मौत पर हंगामा हुआ है। मरीज के परिवारवालों ने हंगामा किया । जिसकी वजह से डॉक्टर ड्यूटी छोड़कर चले गए .. जिससे अन्य मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा ..

क्या है पूरा मामला
मामला पावापुरी के भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान अस्पताल का है। जहां मरीज की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया । हंगामा बढ़ता देख इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर वहां से चले गए। मरीज के परिवारवालों ने मेडिकल कॉलेज के मेन गेट को बंद कर दिया।

किस मरीज की मौत
दरअसल, पावापुरी मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में 12 साल का गोल्डन कुमार भर्ती था। जिसका इलाज के दौरान मौत हो गई। गोल्डन कुमार पावापुरी ओपी के सांयडीह गांव के रहने वाले चिंटू कुमार का बेटा था ।

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परिजनों का क्या है आरोप
मरीज के दादा ज्ञान बहादुर प्रसाद ने अपने पोते की मौत के लिए डॉक्टरों को जिम्मेदार बताया। उन्होंने बताया कि रविवार की शाम उनका पोता साइकिल से गिर गया था। जिससे उसकी कमर में चोट लग गई थी। इसके बाद वे लोग इलाज के लिए पावापुरी मेडिकल में भर्ती कराया। देर रात बच्चे की हालत बिगड़ने लगी थी।

लापरवाही का आरोप
उन्होंने आगे बताया कि जैसे ही उनके पोते की तबीयत बिगड़ने लगी.. इस बात की जानकारी नर्स और दूसरे स्टाफ को दी गई.. इसके बावजूद किसी ने उस बच्चे की सुध नहीं ली और उल्टे डांट फटकार कर परिजनों को वहां भगा दिया। जिसकी बाद आज बच्चे की मौत हो गई ।

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ठप्प हो गई ओपीडी सेवा
मरीज के परिजनों का कहना है कि रात कोई भी सीनियर डॉक्टर अस्पताल में उपस्थित नहीं थे। उनका कहना है कि अगर सीनियर डॉक्टर ने सुध ली होती तो उसकी जान बच जाती.. मरीज की मौत के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण अस्पताल पहुंच गए और अधीक्षक के चेंबर में घुसकर कहासुनी करने लगे।

रणक्षेत्र में बदल गया अस्पताल
मेडिकल सुपरीडेंटट के साथ बदसलूकी की बात जैसे ही जूनियर डॉक्टरों को मिली.. वे लोग उग्र हो गए.. वे लोग भी मरीज के परिजनों से उलझ गए .. इस दौरान आक्रोशित डॉक्टर ने जिस कार में बच्चे का शव रखा था, उसके शीशे तोड़ डाले। इसके बाद परिजन वहां से भाग खड़े हुए।

मेडिकल सुपरिडेंटेड की सफाई
करीब 3 घंटे तक ओपीडी सेवा ठप रही। इसके कारण अन्य मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।इस मामले में अधीक्षक का कहना है कि दोषी परिजनों के खिलाफ थाने में मामला दर्ज किया गया है। साथ ही सीनियर डॉक्टर के नहीं रहने की बात बेबुनियाद बताया ।

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