महारानी Elizabeth के निधन के बाद किसे मिलेगा कोहिनूर? जानें – कौन बनेगी अगली महारानी?

गुरुवार को दशकों तक ब्रिटिश क्वीन के तौर पर शासन करने वालीं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन हो गया। उनकी जगह अब प्रिंस चार्ल्स राजा के तौर पर सिंहासन पर बैठेंगे। ब्रिटिश राजशाही के नियम कहता है कि सम्राट या महारानी की मौत के तुरंत बाद नया राजा सिंहासन का हकदार होता है। इसका मतलब है कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु के तुरंत बाद उनके सबसे बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स राजा बन गए। हालांकि, चार्ल्स के औपचारिक राज्याभिषेक में महीनों या उससे भी ज्यादा समय लग सकता है। अपने पिता किंग जॉर्ज षष्ठम के निधन के बाद छह फरवरी, 1952 को एलिजाबेथ महारानी बन गई थीं। लेकिन उनका राज्याभिषेक इसके 16 महीने बाद दो जून, 1953 को हुआ।

लंदन में सेंट जेम्स पैलेस में सम्राट की मृत्यु के 24 घंटों के भीतर ‘एक्सेस काउंसिल’ द्वारा एक नए राजा की घोषणा औपचारिक रूप से जल्द से जल्द की जाती है। प्रिवी काउंसिल के अधिकारी इसमें होते हैं, जिसमें वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री, न्यायाधीश और चर्च ऑफ इंग्लैंड के नेता शामिल हैं। जिन्हें महल में बैठक के लिए बुलाया जाता है। फिर से संसद को सांसदों के लिए नए सम्राट के प्रति निष्ठा की शपथ लेने के लिए बुलाया जाता है। नया सम्राट 1707 के संघ अधिनियम के मुताबिक चर्च ऑफ स्कॉटलैंड के रखरखाव के लिए सेंट जेम्स पैलेस में प्रिवी काउंसिल के समक्ष शपथ लेगा।

तब नए सम्राट अथवा महारानी की घोषणा को सार्वजनिक रूप से सेंट जेम्स पैलेस के साथ-साथ यूनाइटेड किंगडम को बनाने वाले चार देशों की राजधानी जो कि एडिनबर्ग, कार्डिफ और बेलफास्ट में पढ़ा जाता है। चार्ल्स के राजा घोषित करने के बाद सत्र के पहले दिन या राज्याभिषेक के समय, संसद में घोषित करना होगा कि वह एक आस्थावान प्रोटेस्टैंट हैं। यह शपथ ग्रहण घोषणा अधिनियम 1910 द्वारा अनिवार्य है। वहीं प्रिंस चार्ल्स को राज्याभिषेक की शपथ 1689 के राज्याभिषेक शपथ अधिनियम, 1701 के तहत लेनी होगी।

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इस बीच खबर है कि महारानी के सिर पर जो कोहिनूर हीरे वाला ताज था, जो कि अब प्रिंस चार्ल्स को नहीं मिलेगा। यह ताज उनकी जगह पर पत्नी कैमिला को दिया जाएगा। कुछ वक्त पहले खुद एलिजाबेथ ने ही इस बात का ऐलान किया था। भारत के इतिहास से भी 105.6 कैरेट के हीरे का खास ताल्लुक है। यह 14वीं सेंचुरी में भारत में पाया गया था, लेकिन सदियों से यह अलग-अलग हाथों में रहा है। ब्रिटिश शासन में 1849 में पंजाब का विलय जब किया गया था तो क्वीन विक्टोरिया को यह हीरा मिल गया था। फिर तब से ही ब्रिटिश राज परिवार के पास यह हीरा है।

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