मुगलों की नजरों में ऐसा था गंगाजल, इस कारण बढ़ गया था महत्व

डेस्क : मुगल साम्राज्य में बहुत सारे शासक हुए और देश पर बहुत सारे मुगल शासकों ने शासन तो किया, लेकिन यहां का भला किसी ने नहीं किया. वहीं अकबर अन्य शासकों की अपेक्षा थोड़े लोकप्रिय हुए. उनके मन में हिंदू धर्म के प्रति भी नफरत नहीं भरी थी. अकबर ने ही अपने शासनकाल में हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिमों से तीर्थयात्राओं पर वसूला जाने वाला टैक्स यानी जजिया कर भी खत्म किया था. बहरहाल बात आज गंगाजल को लेकर करेंगे.

हिंदू धर्म में गंगाजल को लेकर विशेष मान्यता है. गंगा को हिंदू धर्मावलंबी मां मानते हैं और गंगाजल को बेहद पवित्र. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोई मुगल साम्राज्य का शासक गंगाजल को लेकर क्या सोचता होगा! गंगाजल को मुगल बादशाह अकबर भी पवित्र मानता था. अबुल फजल की किताब ‘आइन-ए-अकबरी’ में इस बात का जिक्र मिलता है. इस किताब के अनुसार गंगाजल से अकबर को काफी प्रेम था. अक्सर वो अपने सैनिकों से गंगाजल मंगवाया करता था. अबुल फजल के मुताबिक, घड़ों में गंगाजल भरकर अकबर के विश्वासपात्र कर्मचारी राजकीय मुहर लगाते थे. अकबर के अलावा भी कुछ अन्य मुगल शासक गंगा जल को पवित्र मानते थे.

रिपोर्ट के अनुसार, अकबर गंगाजल का इस्तेमाल पीने के लिए करता था. कहा जाता है कि इसे वह मिनरल वाटर मानता था. अपनी किताब प्राइवेट लाइफ ऑफ मुगल्स में लेखक राम नाथ ने लिखा है कि अकबर कहीं भी होता था, लेकिन गंगाजल का ही इस्तेमाल करता था. अकबर ने 1571 में एक नगर बसाया था, फतेहपुर सिकरी, जो वर्तमान में आगरा जिले में पड़ता है.

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जब भी अकबर यहां होता था तो उत्तर प्रदेश के अन्य जगहों से गंगाजल मंगाया करता था. कभी हरिद्वार से, तो कभी कहीं और से अकबर के सैनिक गंगाजल लेकर आया करते थे. गंगाजल भोजन तैयार करते समय भी उसमें मिला दिया जाता था। गंगाजल पीना अकबर और कुछ अन्य मुगल बादशाह खूब पसंद करते थे. इसके पीछे की वजह थी कि कभी भी गंगाजल खराब नहीं होता. गंगा का जल तब तो और भी ज्यादा शुद्ध और स्वच्छ हुआ करता था. आसानी से लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता था.जब भी ऐसे में अकबर या अन्य मुगल बादशाह कहीं युद्ध पर या बाहर जाया करते थे तो अपने साथ अक्सर गंगाजल रखा करते थे.

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