ये है बेगूसराय का ग्रेजुएट चाय वाला, जॉब नही मिला तो खोल दिया चाय का स्टॉल..

न्यूज़ डेस्क : इन दिनों देश में आत्मनिर्भरता की और हर कोई कदम उठाना चाह रहा है। इस राह पर चलने के लिए युवा- युवतियां भारी संख्या अग्रसर हैं। आज के समय में कई ऐसे युवा युक्तियां उदाहरण के तौर पर उभर कर सामने आए हैं जो स्वरोजगार कर दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं। यह अपनी पढ़ाई कर दूसरों के संस्था में काम करने के बजाय अपनी स्टार्टअप चला रहे हैं। आज हम एक ऐसे युवा की बात करेंगे जो ग्रेजुएशन करने के बाद एक ऐसा काम चुन लिया जिसके लिए साहस जुटा पाना भी मुश्किल है। लेकिन कई ऐसे युवा – युवतियां हैं जो इस क्षेत्र में भी अच्छा काम कर रहे हैं।

हम खगड़िया के संतोष कुमार के बारे में बात कर रहे हैं। जिन्होंने ग्रेजुएट चायवाला के नाम से बेगूसराय में अपने कॉलेज के सामने ही एक चाय का स्टाल लगाया है। इस स्टॉल को राहगीर बड़े ही जिज्ञासा के साथ देखते हैं और यहां रुक जाते हैं। इस स्टॉल को बेगूसराय के एसबीएसएस कॉलेज से राजनीति शास्त्र में ग्रेजुएट करने वाले संतोष ने शुरू किया है।

बता दें कि खगड़िया के भदास निवासी सुरेश शाह के बेटे संतोष कुमार बेगूसराय में किराए के घर में रुक कर ग्रेजुएशन कर रहा है। यहां रहकर उसने जब ग्रेजुएशन कंप्लीट करने लगा तो उसके मन में आगे पढ़ने की ख्याल आया। लेकिन पैसे के अभाव में मन को रोकना पड़ा। इसके बाद उसने एक तरकीब निकाली। बीते बुधवार को 500 रुपए की इन्वेस्टमेंट के साथ अपना चाय का दुकान शुरू कर दिया।

See also  खुशखबरी! अब आधी कीमत में मिलेगी LPG Cylinder – सरकार ने बनाया दमदार प्लान..

पूंजी के अभाव में उसने कॉलेज के बगल में एनएच किनारे चाय की दुकान पर ग्राहकों के बैठने की व्यवस्था नहीं की है। लेकिन ग्रेजुएट चायवाला का बैनर जरूर लगा दिया है और चाय पीने वालों को पैसे देने का झंझट नहीं है, गूगल पे और फोन पे का सिस्टम है। बुधवार को पहले दिन जब उन्होंने अपना काम शुरू किया तो दुकान पर 65 ग्राहक आए। इससे उम्मीद जागी और गुरुवार को उन्होंने दो सौ ग्राहकों के लिए दूध खरीदा, जिसमें से दोपहर 12 बजे तक 70 से ज्यादा चाय बिक चुकी हैं।

संतोष ने बताया कि वह पिछले तीन साल से किराए के मकान में रहकर राजनीति शास्त्र की पढ़ाई कर रहा है। हाल ही में उनकी अंतिम वर्ष (ऑनर्स पेपर) की परीक्षा समाप्त हुई है इसलिए उन्हें उच्च शिक्षा के लिए अधिक धन की आवश्यकता है। लेकिन इसके लिए वह अपने पिता पर निर्भर नहीं रहना चाहते और जेब खर्च से बचाए पांच सौ रुपए की लागत से स्टॉल शुरू किया है। सुबह छह बजे से शाम पांच बजे तक चाय बेचूंगा और उसके बाद पढ़ाई करूंगा।

Leave a Comment