आकिल जावेद/ दिल्ली
दिल्ली में 16 अगस्त से लगातार चल रहे रोजगार आंदोलन में सैकड़ों आंदोलनकारी अबतक डटे हुए हैं, हर दिन बारी बारी से आंदोलनकारी अन्न त्याग कर प्रदर्शन कर रहे हैं। रविवार को आंदोलनकारियों ने जंतर-मंतर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया।बीते शुक्रवार को दिल्ली पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों को हिरासत में लेने के बाद अलग अलग संगठनों का भी समर्थन मिलने लगा है। कई किसान संगठनों ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। रविवार को रोजगार आंदोलन को समर्थन देने और आंदोलन में शामिल होने जंतर-मंतर आ रहे किसान नेता राकेश टिकैत को पुलिस ने बाॅर्डर पर ही रोक दिया।दिल्ली के कैबिनेट मंत्री एवं देश की बात फाउंडेशन के संस्थापक गोपाल राय ने बताया कि केंद्र सरकार ने 16 अगस्त से ही रोजगार आंदोलन को किसी न किसी तरह दबाने की कोशिश कर रही है | पहले नंदनगरी से जंतर मंतर तक निकलने वाली तिरंगा यात्रा को रोका गया , फिर नंदनगरी में ही शांतिपूर्ण तरह से चल रहे क्रमिक अनशन को बंद कर 200 से ज़्यादा आंदोलनकारियों को पुलिस द्वारा जबरदस्ती गिरफ्तार कर नंदनगरी आंदोलन स्थल को सील कर दिया गया | इसके साथ साथ कई बार प्रधानमंत्री और अलग अलग केंद्रीय मंत्रियो को राष्ट्रीय रोजगार नीति का ड्राफ्ट सौपने जा रहे संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति से जुड़े विभिन्न संगठनो के कार्यकर्ताओ को जबरन पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया | पिछले छह दिनों से केवल गिरफ्तारियां हो रही है ,और हमारे कार्यकर्ता हाथ में झंडा उठाए और सर पे रोजगार आंदोलन की टोपिया पहने गिरफ्तारियां दे रहा है | मैं अपने सभी नौजवान कार्यकर्ताओ को सलाम करता हूँ की इतनी मुश्किलों के बाद भी वह अपनी राह से अलग नहीं हुए। देशभर के अलग अलग राज्यों से आए हमारे सभी प्रतिनिधियों के हौसलों को मैं सलाम करता हूँ की पुलिस के कितना रोकने पर भी वह देश की तरक्की के लिए और देश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं है
रोजगार कानून क्यों जरूरी है?
ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश के शहरी क्षेत्र में बेरोज़गारी दर आज 9.1 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में 6.9 फीसदी है । ऐसे में राष्ट्रीय रोजगार नीति आज के समय की मांग है और इसके लागू होने से बेरोजगारी की समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है। देशभर के लोग इस आंदोलन में भाग लें रहे है और बेरोज़गारी की समस्या के निदान के लिए समिति द्वारा जारी आंदोलन में सहयोग भी कर रहे है ताकि केंद्र में बैठी सरकार जो बेरोज़गारी के मुद्दे की तरफ आँख मूँद चुकी है उसे नींद से जगाया जा सकें | इसलिए राष्ट्रीय रोजगार नीति आधारित कानून बनाने को लेकर आंदोलन समिति की जो मांगे वह जायज है और सरकार को चाहिए कि वह उनकी बात को सुने और उसपे जल्द जल्द से कार्यवाही करे ताकि भारत को बेरोजगारी जैसी समस्या से निदान मिल सकें |देश को आज़ादी मिले 75 साल हो गए लेकिन अबतक किसी भी सरकार ने राष्ट्रीय रोजगार नीति का मुद्दा ना तो उठाया है और ना ही इस नीति पर कोई चर्चा की है। 75 साल भी देश के लोगो के लिए आजीविका का रास्ता नहीं बन पाया है | महिलाएं भारत की 49 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं, लेकिन वे काबिल होने बावजूद बेरोज़गारी के चलते घर पर बैठने को मजबूर है | सरकार द्वारा एमएसपी कि गारंटी के आभाव के चलते वह अपने उत्पाद को बेचने के लिए दर दर भटकता है | आज बेरोजगारी का आलम यह है कि देश में मज़दूर न्यूनतम मजदूरी के लिए भटकता रहता है
रोजगार आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे विभिन्न संगठनों और पार्टी के नेता
इस अवसर पर सभी आंदोलनकारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह , बीएसपी से लोकसभा सांसद कुंवर दानिश अली , राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह, स्वाभिमानी पक्ष के अध्यक्ष और पूर्व लोकसभा सांसद राजू शेट्टी, भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चढ़ूनी, भारतीय किसान यूनियन (अंबावत) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल अम्बावत जंतर-मंतर में शामिल हुए| इन सभी दिग्गज नेताओ की मौजूदगी से राष्ट्रीय रोजगार नीति को लेकर मांग को एक नई दिशा और ऊर्जा मिली है |जंतर मंतर पर रोजगार संसद का भी आयोजन किया गया , जहाँ मौजूद सभी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता राष्ट्रीय रोजगार नीति से जुड़े अपने अपने विचार को सभी के समक्ष रखे।22 अगस्त को कंस्टीटूशन क्लब में होगी संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति की बैठक श्री गोपाल राय ने बताया कि रोजगार आंदोलन के अगले चरण में कल यानी 22 अगस्त को 11 बजे से दिल्ली के कंस्टीटूशन क्लब में संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति की बैठक होगी जिसमे आंदोलन की आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी | आज जो बेरोजगारी के खिलाफ आंदोलनकारियों ने जज़्बा दिखाया है , उसे हम किसी भी तरह से दबने नहीं देंगे और यह आंदोलन इसी तरह आगे भी जारी रहेगा।