“सभी के लिए लंबा जीवन” थीम के साथ मनाया जा रहा है विश्व टीकाकरण सप्ताह

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पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

पूर्णिया : मासूम बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए नियमित रूप से टीकाकरण कराना जरूरी है। भागमभाग वाले  इस दौर में हम सभी के स्वास्थ्य की देखभाल में टीकाकरण का बहुत ज़्यादा योगदान रहा है। वर्ष 2022 में विश्व टीकाकरण सप्ताह “सभी के लिए लंबा जीवन” थीम के साथ मनाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को इस विचार के लिए एकजुट करना है कि टीकाकरण हमारे सपनों को पूरा करने, अपने प्रियजनों की रक्षा करने और एक लंबा, स्वस्थ जीवन जीना संभव बना सकता है

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बच्चों में संक्रामक रोगों के प्रसार को कम करने में नियमित टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका: आरपीएम

क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक कैशर इक़बाल ने बताया कि नियमित रूप से बच्चों को दी जाने वाली टीके से प्रतिरक्षा का निर्माण होता है। विशेष रूप से नवजात शिशु बहुत ही जल्द किसी न किसी संक्रमण की जद में आ जाते हैं। क्योंकि संक्रमणों से लड़ने वाली उनके शरीर की रक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं रहती है। नवजात शिशु अपनी माताओं से जीवन रक्षक एंटीबॉडी प्राप्त करते हैं, एंटीबॉडी धीरे-धीरे कम हो जाती हैं, जिससे बच्चे संक्रमण और बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। टीकाकरण प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करके बच्चों में संक्रामक रोगों के प्रसार को कम करने में मदद करता है जो बाद में होने वाले किसी भी तरह की संक्रमण के प्रहार से बचाता है।

विगत अक्टूबर महीने में सबसे अधिक कटिहार ज़िले में हुआ है नियमित टीकाकरण: सपना कुमारी

क्षेत्रीय अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी सपना कुमारी ने बताया कि पूर्णिया प्रमंडल के किशनगंज, कटिहार, अररिया एवं पूर्णिया ज़िले में विगत अक्टूबर महीने  के दौरान नियमित रूप से होने वाले टीकाकरण सबसे अधिक कटिहार में 98 हजार 509 बच्चों को टीके लगाए गए हैं। पूर्णिया में 87 हजार 8, अररिया जिले में 61 हजार 738 जबकि किशनगंज में 41 हज़ार 8 सौ 37 नौनिहालों को टीकाकृत किया गया है। नियमित टीकाकरण शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में काफी मददगार साबित होता है

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नियमित टीकाकरण के संबंध में दी गई जानकारी विस्तृत जानकारी: डीआईओ

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जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ विनय मोहन ने बताया कि नवजात शिशुओं को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाव के लिए संपूर्ण रूप से नियमित टीकाकरण कराना बहुत ही ज़्यादा जरूरी होता है। नियमित टीकाकारण आम तौर पर खतरनाक बीमारियों के नियंत्रण और उन्मूलन करने के लिए किया जाता है। अमूमन ऐसा देखा जाता है कि नियमित टीकाकरण के माध्यम से सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग बड़ी संख्या में मृत्यु को रोकने में कामयाब रही है। यह सबसे अधिक किफायती एवं सरल स्वास्थ्य निवेशों में से एक है। प्रशिक्षित एएनएम द्वारा टीकाकरण के दौरान पोषक क्षेत्रों में कार्यरत आशा, आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिकाओं द्वारा काफ़ी सहयोग किया जाता है। नौनिहालों को टीके लगवाने वाली महिलाओं एवं अभिभावकों को विशेष रूप से टीकाकरण के महत्व के बारे में बताया जाता हैं। नियमित टीकाकरण अभियान के दौरान डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ़ एवं यूएनडीपी के द्वारा सहयोग किया जाता है

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नियमित रूप से दी जाने वाली टीके के प्रकार:

टीकाकरण न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है। जन्म होते ही ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी के टीके दिए जाते हैं जबकि डेढ़ महीने बाद ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1 की ख़ुराक़ दी जाती है। इसी तरह ढाई महीने बाद ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2 और साढ़े तीन महीने बाद ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2. इसके अलावा नौ से 12 माह के अंदर मीजल्स 1, मीजल्स रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन ए के टीके नवजात शिशुओं को लगाए जाते हैं। 16 से 24 माह के अंदर मीजल्स 2, मीजल्स रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2 के टीके दिए जाते हैं। 05 से 6 साल के अंदर डीपीटी बूस्टर 2, 10 वर्ष से लेकर 15 वर्षो के अंदर टेटनेस की सुई दी जाती है। गर्भवती महिला को टेटनेस 1 या टेटनेस बूस्टर दिया जाता है।

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