समता ग्रामीण विकास के तत्वाधान में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजनन

मनीष कुमार / कटिहार 

शहर के दुर्गास्थान राजेंद्र ग्राम में जल एवं तालाब संरक्षण विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सामाजिक संस्था समता ग्रामीण विकास के तत्वाधान में आयोजित इस सेमिनार की अध्यक्षता जाने-माने पर्यावरणविद् डॉ० टीएन तारक ने किया उद्घाटन, जबकि डीएस कॉलेज के प्राध्यापक डॉ अनवर इरज, सीताराम चमरिया कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्राचार्य प्रो० अशोक कुमार विश्वास, प्रो० राम निवास शर्मा, प्रो कामेश्वर पंकज, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक पंकज कुमार विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ० गंगासागर दीनबंधु ने किया। 

सेमिनार में विषय प्रवेश कराते हुए समता ग्रामीण विकास के सचिव किशोर कुमार मंडल ने कहा कि बदलते परिवेश में जल एवं तालाब संरक्षण जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि उपभोक्तावादी संस्कृति ने प्रकृति को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है। पानी जीवन का आधार है। इसके बगैर स्वस्थ जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसलिए जल एवं तालाब संरक्षण की दिशा में ठोस पहल करने की जरूरत है। सेमिनार में कृष्ण प्रसाद कौशिक,कंचन प्रिया, राधा रमन सिंह, अरुण कुमार चौबे, सुमित वर्मा, कुंदन कुमार आदि ने विचार प्रकट करते हुए नदी व तालाब बचाने तथा जल संरक्षण पर जोर दिया। वक्ताओं ने कहा कि जिस तरह भूतल का जलस्तर नीचे जा रहा है। इससे जल एवं तालाब को बचाना अत्यंत आवश्यक है। सेमिनार में डीएस कॉलेज के प्राध्यापक प्रो० अनवर इरज ने कहा कि जल संरक्षण के लिए सभी को आगे आने की जरूरत हैं। आने वाले समय में जल को लेकर बड़ा संकट होने वाला है।  सीताराम चमरिया कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्राचार्य प्रो० अशोक ने कहा कि एक समय तालाब एवं जल संरक्षण के लिए कई तरह की पहल की जाती थी। 

लेकिन अब धीरे-धीरे यह समाप्त होता जा रहा है। जबकि प्रकृति के लिए जल व तालाब को बचाना जरूरी है। कृषि वैज्ञानिक पंकज ने जल संकट के दुष्प्रभाव से अवगत कराते हुए कहा कि मौजूदा दौर में सरकारी अभियान के अलावे जन समुदाय को भी जल संरक्षण के लिए आगे आने की जरूरत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जाने-माने पर्यावरणविद् डॉ० टीएन तारक ने कहा कि जल संरक्षण के लिए सभी को आगे आने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिस अनुपात में पेड़ पौधा पृथ्वी पर होना चाहिए, उस अनुपात में पेड़ पौधा उपलब्ध नहीं है। इसी कारण वर्षा की कमी होती है तथा जल संकट उत्पन्न होता है। कई उदाहरण के जरिए उन्होंने बताया कि जब तक अधिक से अधिक पौधारोपण नहीं होगा।

तब – तक पर्याप्त वर्षा नहीं होगी एवं जल संरक्षण संभव नहीं है। उन्होंने पृथ्वी को बचाने व जल संरक्षण के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण पर जोर दिया।इस अवसर पर केबी झा कॉलेज के डॉ कुलभूषण मौर्य, डीएस कॉलेज के डॉ आशीष आनंद, सच्चिदानंद पंडित, चिकित्सक डॉ आशीष कुमार, अनुज कुमार, अजीत कुमार, गौतम कुमार मंडल आदि मौजूद थे।

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