सरकारी शिक्षा व्यवस्था के प्रशासनिक दावों के हकीकत की पोल खोलते चंडी प्रखंड में ऐसे विद्यालय – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

नालंदा दर्पण डेस्क। संविधान के अनुच्छेद 51-अ में देश के प्रत्येक बच्चों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली समान शिक्षा की व्यवस्था दी गई है। अमेरिका, इंग्लैंड जैसे दुनिया के अमीर देशों में सरकारी स्कूल ही बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था की नींव माने जाते हैं।

वहां की शिक्षा व्यवस्था पर आम जनता का नियंत्रण होता है। इसके ठीक विपरीत पिछड़े देशों में प्राइवेट स्कूलों की शिक्षा पर लोग ज्यादा भरोसा करते हैं।

इसलिए भारत में यह शिक्षा के निजीकरण का दौर है। यह देश के अभावग्रस्त परिवारों के बच्चों से उनके डाक्टर, इंजीनियर बनने के सपनों के छीन जाने का दौर है। यह महंगी फीस, महंगे स्कूल और उम्दा पढ़ाई के नाम पर अमीर तथा गरीब बच्चों के बीच शिक्षा की खाई को और भी चौड़ा कर देने का दौर है।

यह अमीरों के बच्चों के लिए निजी स्कूलों का दौर है। इसलिए,यह गरीब बच्चों के लिए सरकारी स्कूलों को उनके हाल पर छोड़ देने का दौर है। इस दौर में हम देख रहें हैं कि सरकारी स्कूलों की हालत किस तरह बद से बद्तर बना दी जा रही है।

सरकार के कागजी दावों की धरातल पर सरकारी स्कूलों की बदहाल तस्वीरें आती रहती है। चंडी प्रखंड में शिक्षा व्यवस्था कब की पटरी से उतर चुकी है। खासकर प्रखंड में प्राथमिक शिक्षा सिसक रही है।

कहने को तो त्रिवेणी में गंगा और यमुना दोनों हैं लेकिन सरस्वती लुप्त हो चुकी है। वैसे भी चंडी में सरस्वती कब को खत्म हो चुकी है। प्रखंड में दर्जन भर ऐसे स्कूल है, जहां बच्चों की संख्या कम देखते हुए या फिर जर्जर भवन रहने की वजह से दूसरे स्कूलों में हस्तांतरित कर दिया गया है।

चंडी प्रखंड के बेलछी पंचायत के अंतर्गत मोकिमपुर में एक ऐसा ही प्राथमिक विद्यालय है जो पिछले चार से जर्जर भवन की वजह से उस स्कूल के बच्चों की पढ़ाई नजदीक के स्कूल प्राथमिक विद्यालय,मतेपुर में हो रही है।

ऐसे में दोनों स्कूलों के व्यवस्था के बीच बच्चे और शिक्षक पीस रहें हैं। कहा जा रहा है कि प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर में भवन बनने के लिए राशि भी आया लेकिन प्रभारी प्रधानाध्यापक के तबादले के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

चार साल से बंद है प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर: सरकारी शिक्षा व्यवस्था का हाल यह है कि पिछले चार साल से प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर बंद पड़ा हुआ है। यहां कक्षा एक से पांच तक पढ़ने वाले लगभग एक सौ छात्र बगल के गांव मतेपुर में पढ़ने के लिए जा रहें हैं। यहां तक कि इस स्कूल के सभी छह शिक्षकों को भी बच्चों के साथ मतेपुर शिफ्ट कर दिया गया है।

प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर का भवन जर्जर हो चुका है, स्कूल के खिड़की -दरवाजे गायब है। यहां बच्चों को पढ़ाने की जगह बकरियां बांधी जाती है। स्कूल का शौचालय ध्वस्त हो गया है। स्कूल और शौचालय की दीवार पर ग्रामीण महिलाएं उबले थाप रही है।

भवन निर्माण की राशि का बंदरबांट: ग्रामीण बताते हैं कि इस स्कूल के निर्माण के लिए लगभग 12लाख की राशि आया था। लेकिन राशि कहां गया किसी को जानकारी नहीं है और न ही पदाधिकारी कोई सुध लें पाएं हैं।

मतेपुर प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक विकास कुमार का कहना है कि मोकीमपुर स्कूल के जो प्रधानाध्यापक थे, उनका कहना है कि उनसे पहले जो थें उनका तबादला इस्लामपुर हो गया। जहां से वे भवन निर्माण का कार्य करा रहें थें लेकिन उनकी तबीयत खराब हुई और उनका निधन हो गया। उसके बाद भवन निर्माण अधूरा रह गया।

एक कमरे में 98 बच्चों को पढ़ाते हैं पांच शिक्षक: प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर का भवन जब जर्जर हुआ तो यहां के  कक्षा पांच तक के सभी छात्रों एवं छह शिक्षकों को प्राथमिक विद्यालय मतेपुर भेज दिया गया।

हालांकि स्कूल के पास चार कमरे हैं जिनमें तीन कमरों में वहां के 132 बच्चे तीन कमरों में पढ़ते हैं,तो मोकिमपुर स्कूल के 98 बच्चे एक ही कमरे में पढ़ते हैं, जिन्हें पढ़ाने के लिए पांच शिक्षक हैं।ऐसे में मोकीपुर स्कूल के छात्रों के साथ पढ़ाई के नाम पर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ चल रहा है।

बाथरूम नहीं रहने से शिक्षिकाओं को परेशानी: प्राथमिक विद्यालय मतेपुर में शौचालय की सुविधा नहीं रहने से शिक्षिकाओं को परेशानी हो रही है।

शिक्षिका रूपा मनानी, अर्पणा कुमारी की मानें तो स्कूल में वाशरूम नहीं रहने से परेशानी का सामना करना पड रहा है। शिक्षकों का कहना है कि स्कूल के रख-रखाव के लिए अभी तक एक पैसा भी नहीं मिला है। प्रखंड विकास पदाधिकारी और शिक्षा पदाधिकारी से की बार शिकायत की गई। लेकिन इन पदाधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है।

जर्जर भवन की वजह से ज़िले में 80 स्कूलों पर लटके ताले: नालंदा जिला में 80 ऐसे प्राथमिक और मध्य विद्यालय है जिन्हें इसलिए बंद कर दिया गया कि उसके भवन काफी जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए इन स्कूलों के बच्चों को दूसरे स्कूलों में हस्तांतरित कर दिया गया है। जिससे बच्चों को दूसरे गांव में आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

प्राथमिक विद्यालय,दस्तूरपुर को भी जर्जर भवन की वजह से बंद कर उसे योगिया शिफ्ट कर दिया गया है। जहां बच्चे बिहटा-सरमेरा सड़क पार कर आते जाते हैं।

आरटीआई एक्टिविस्ट उपेंद्र प्रसाद सिंह कहते हैं कि किसी दिन कोई बड़ी घटना हो सकती है। उन्होंने कहा कि वरीय पदाधिकारी को स्कूल भवन निर्माण के लिए लिखा है। उसपर सुनवाई भी हुई है, लेकिन सरकार का तर्क ही अजीब है।ऐसी व्यवस्था में सरकारी शिक्षा सुधरने वाली नहीं है।

‘ स्कूल चले हम’ कहते वक्त,अलग-अलग स्कूलों में पल रही गैरबराबरी पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है।एक ओर जहां क,ख,ग लिखने के लिए ब्लैकबोर्ड तक नहीं पहुंचा है,ऐसे में सरकारी स्कूलों के सरकारी दावों की हकीकत की पोल खोलती जरूर दिख रही है प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर और मतेपुर की हालत !

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *