मार्केट में खाद्य तेलों की कीमत में गिरावट देखी जा सकती है। इसी क्रम में पाम ऑयल इस वक्त अपने एक साल के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंचा है। पर एफएमसीजी कंपनियां (FMCG Comapanies) इसका फायदा ग्राहकों को नहीं देना चाह रही और उससे बच रही है। तेल की कीमत में कटौती न करने की लेकर कम्पनियों का अपना अलग तर्क है। इसके साथ ही खाने के तेल (Edible Oil) की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। मालूम हो इंडोनेशिया के प्रतिबंधों के बाद इसी साल पाम ऑयल की कीमतों में तेजी देखी गई थी। जिसके बाद सरकार के स्तर पर पहल के असर की वजह से कीमतों में गिरावट भी आई थी।
क्या कह रहीं कंपनियां :
क्या कह रहीं कंपनियां : वैसे तो साबुन जैसे उत्पादों में ज्यादातर पाम ऑयल का ही प्रयोग होता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘पाम ऑयल की कीमतों में गिरावट के बाद भी एफसीजी कंपनियां राहत देने से इनकार कर रही हैं। कंपनियों का तर्क है कि रॉ मैटेरियल महंगा हो गया है। जिसकी वजह से कीमतों में कटौती संभव नहीं है।’ वहीं दूसरी ओर खाने के तेल की कीमतों आगे भी गिरावट हो सकती है।
आपको बता दें समय के साथ रॉ मैटेरियल के दाम भी कम हुए हैं। पर इसपर कंपनियों का कहना है कि रॉ मैटेरियल अभी इतना भी सस्ता नहीं हो हुआ है कि इसका सीधा फायदा ग्राहकों को पहुंचाया जा सके। पिछले कुछ महीनों के दौरान गेंहू और चावल की कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत तक की तेजी देखने को मिली है। बताते चलें, पाम ऑयल की ताजा कीमतें 90 रुपये प्रति लीटर तक आ गई हैं।