लाइव सिटीज पटना: नीतीश कुमार ने एक बार फिर लालू यादव की पार्टी आरजेडी के साथ मिलकर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई है. एनडीए का साथ छोड़ते ही महागठबंधन के सहयोग से मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर बीजेपी ने हमले करने शुरू कर दिए हैं. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने एक बार फिर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर हमला बोला है. सुशील मोदी ने तेजस्वी यादव की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिनका राजपाट आते ही जनता सहम जाती है, भला उनको किससे इतना खतरा है कि सुरक्षा बढ़ायी जा रही है?. दरअसल बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महागठबंधन सरकार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के उप-मुख्यमंत्री बनते ही राज्य सरकार ने जेड कैटेगरी का सुरक्षा कवर दिया है. तेजस्वी के पास नेता विरोधी दल के नाते अब तक वाई कैटेगरी की सिक्योरिटी थी जिसे सरकार ने अपग्रेड कर दिया है.
बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर जमकर हमला बोला है. सुशील मोदी ने ट्वीट कर लिखा है कि बिहार में 12 साल तक उप मुख्यमंत्री रहा, लेकिन सरकार को न मुझे बुलेट प्रूफ गाड़ी देने की जरूरत महसूस हुई, न जेड-प्लस सुरक्षा की. मामूली सुरक्षा के बीच मैंने 1, पोलो रोड के सरकारी आवास से लंबे समय तक जनता की सेवा की. उन्होंने लिखा कि जिनका राजपाट आते ही जनता सहम जाती है, भला उनको किससे इतना खतरा है कि सुरक्षा बढ़ायी जा रही है?. सुशील मोदी ने आगे लिखा कि अब के डिप्टी सीएम पहले ही कार्यकाल में 5, देशरत्न मार्ग वाले सरकारी आवास में 46 एसी लगवा चुके हैं. गरीबों के मसीहा ने पद से हटने के बाद भी आलीशान बंगला न छोड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी, लेकिन दाल नहीं गली.
सुशील मोदी ने ट्वीट कर लिखा है कि तेजस्वी यादव को लगता था कि जो बंगला एक राजकुमार के लायक बनाया गया, उसमें दूसरा कैसे रह सकता है? उन्हें एनडीए का डिप्टी सीएम तो बीपीएल स्तर की सुविधा के लायक लगता था. वहीं नीतीश कुमार पर हमला करते हुए सुशील मोदी ने लिखा कि मुख्यमंत्री जी अपने नौजवान डिप्टी सीएम को जिस आदर और विनम्रता के साथ उनका हाथ पकड़ कर कुर्सी तक ले जाते दिखे, उससे साफ है कि डी-फैक्टो सीएम कौन है और कौन एहसान तले दबा हुआ. कुर्सी तो वही होती है, लेकिन बैठने वाले का भाग्य अलग-अलग होता है.
इससे पहले सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनना चाहते थे और उनके पार्टी के कई बड़े नेताओं ने बीजेपी के बड़े नेताओं से संपर्क भी किया था. भाजपा के लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं था. पार्टी की ओर से ऑफर नहीं मिलने के बाद से नीतीश कुमार ने गठबंधन से अलग होने के रोड मैप तैयार कर लिया था. सुशील मोदी के इस आरोप पर नीतीश कुमार ने जवाब देते हुए कहा कि एक आदमी (सुशील मोदी) ने कहा कि मैं उपराष्ट्रपति बनना चाहता था. क्या मजाक है! यह फर्जी है. मेरी ऐसी कोई इच्छा नहीं थी, क्या वे भूल गए कि हमने उन्हें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों में कितना समर्थन दिया.
बता दें कि नीतीश और तेजस्वी की सरकार का 24 अगस्त को सदन में फ्लोर टेस्ट होगा. जहां उन्हें बहुमत साबित करना होगा. सीएम और डिप्टी सीएम तो तय हो गया है लेकिन बिहार के नए मंत्रिमंडल की तस्वीर अभी साफ नहीं हुई है. सरकार में कौन-कौन शामिल होगा, किसके कितने मंत्री बनेंगे, यह सब अभी तय नहीं हुआ है. हालांकि माना जा रहा है कि महागठबंधन में इस बात पर सहमति बन रही है कि 5 विधायक पर एक मंत्री बनाया जाएगा. बतातें चलें कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने राज्यपाल फागू चौहान को 164 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा है. इसमें जेडीयू के 45, आरजेडी के 79, लेफ्ट के 16, कांग्रेस के 19, निर्दलीय एक और हम के चार विधायक शामिल हैं.
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