स्पीकर कुर्सी छोड़ ही नहीं रहें, मंत्री विजय चौधरी ने कह दिया-विजय सिन्हा को जबरन हटाया जाएगा, फिर क्या होगा?

लाइव सिटीज पटना: बिहार विधानसभा में कल यानी बुधवार को एक अजीब तरह का राजनीतिक संकट खड़ा होने वाला है. विधानसभा स्पीकर विजय सिन्हा ने इस्तीफा देने से मना कर दिया है. साथ ही सत्ता पक्ष के विधायकों के द्वारा खुद के खिलाफ दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया है. विधानसभा का विशेष सत्र बुधवार से शुरू हो रहा है जिसमें पहले दिन नीतीश सरकार को बहुमत साबित करना है. विजय सिन्हा को एनडीए सरकार में स्पीकर चुना गया था, जो बीजेपी के टिकट पर विधायक हैं. ऐसे में सत्ता परिवर्तन के बाद नियम के मुताबिक विजय सिन्हा को स्पीकर का पद छोड़ देना चाहिए लेकिन महागठबंधन की ओर से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि जो उन्हें नोटिस दी गई है वह नियमों और प्रावधान के खिलाफ है.

विधानसभा स्पीकर विजय सिन्हा के इस्तीफा नहीं देने पर सत्ता पक्ष की ओर से हमला तेज हो गया है. विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा संसदीय कार्यमंत्री व वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि अगर इस्तीफा नहीं देंगे तो नियम के अनुसार उनको हटाया जाएगा. सदन के अधिकांश सदस्यों का उनमे विश्वास नहीं है. उनको हटाने के लिए नियम उपलब्ध है हमलोग उसका उपयोग करेंगे. विजय चौधरी ने कहा कि अच्छा तो होता कि वह इस्तीफा दे देते अगर इस्तीफा नहीं देंगे तो नियमानुसार वह हटाए जाएंगे. विजय चौधरी ने कहा कि स्थापित परंपरा और नियमों के मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सत्र की शुरुआत का सबसे पहला एजेंडा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे में अपने ही खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान स्पीकर खुद सदन का संचालन नहीं कर सकते. उनकी जगह डिप्टी स्पीकर सत्र की अध्यक्षता करेंगे.

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डिप्टी स्पीकर औरजेडीयू विधायक महेश्वर हजारी ने कहा कि अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के मद्देनजर स्पीकर विजय सिन्हा को सदन के आसन पर नहीं बैठना चाहिए. विजय सिन्हा को ससंदीय परंपरा के तहत इस्तीफा दे देना चाहिए था क्योंकि उनके पास बहुमत नहीं है. महेश्वर हजारी ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस नियमों के तहत ही दिया गया है और उसके हिसाब से ही 14 दिन बाद सत्र बुलाया गया है. डिप्टी स्पीकर ने कहा कि लोकतंत्र बहुमत से चलता है और उनके पास बहुमत नहीं है इसलिए उनको पद पर नहीं बने रहना चाहिए. साथ ही उन्होंने इसको जिद बताते हुए सवाल उठाया कि वो कैसे नोटिस खारिज कर सकते हैं.

विजय सिन्हा ने कहा कि वो स्पीकर के पद से इस्तीफा नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि सदन की बात सदन में करेंगे. मुझे मिला नोटिस नियमों और प्रावधान के खिलाफ है. लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ व्यवस्था नहीं है. विगत दिनों सत्ता को बचाए रखने के लिए जो कुछ भी हुआ उसपर इस समय कुछ भी कहना उचित नहीं था. विजय सिन्हा ने कहा कि दांव पर सब कुछ लगा है, रूक नहीं सकते, टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते. हालांकि सदन में उनके लिए टीक पाना संभव नहीं दिख रहा है. अध्यक्ष के समर्थन में भाजपा के 76 सदस्य हैं. जबकि सत्ता पक्ष के 164 विधायक उनके खिलाफ एकजुट हैं.

बता दें कि इसी महीने 10 अगस्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़कर सात पार्टी के महागठबंधन के साथ मिलकर प्रदेश में नई सरकार बना ली थी. नई सरकार के गठन के तुरंत बाद महागठबंधन के 40 से अधिक विधायकों ने विजय सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था. बिहार के 243 सदस्यीय विधानसभा में महागठबंधन के 164 विधायक हैं, जहां अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए एक साधारण बहुमत की आवश्यकता है. दरअसल बिहार विधानसभा का विशेष सत्र 24 अगस्त को बुलाया गया है. दो दिनों का यह विशेष सत्र होगा. 24 अगस्त को विधानसभा और 25 अगस्त को बिहार विधान परिषद की कार्यवाही होगी. हागठबंधन की नई सरकार को विश्वास मत हासिल करने के लिए 24 अगस्त को विधानसभा की बैठक सुबह 11 बजे से बुलाई गई है. इस एक दिवसीय सत्र की कार्ययोजना मौजूदा अध्यक्ष को ही बनानी है. विधानसभा में दो ही कार्य किये जाने हैं. पहला सरकार का बहुमत हासिल करना और दूसरा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान.

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