हरभरा पेरणी कधी कराल ? कोणत्या जातीची निवड कराल ? जाणून घ्या संपूर्ण व्यवस्थापन

नमस्ते कृषि ऑनलाइन: चना की कृषि योग्य फसल में खरपतवार प्रबंधन के लिए पहली फसल 20 से 25 दिन की होने पर और दूसरी फसल 30 से 35 दिन की होने पर करनी चाहिए। हो सके तो चिकन को स्टीम कर लेना चाहिए। कटाई के बाद दोनों पौधों से खरपतवार निकालने के लिए तुरंत निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।

1) बागवानी की बुवाई 10 नवंबर तक कर लेनी चाहिए। बुवाई के लिए फुले विक्रम, फुले विक्रांत या उन्नत किस्म पीडीकेवी-कनक का चयन करना चाहिए।
2) ट्राइकोडर्मा को बुवाई से पहले 5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए ताकि बीज का अंकुरण बेहतर हो और अंकुर अवस्था में फफूंद रोगों से बचाव हो सके। इसके बाद राइजोबियम और पीएसबी जीवाणु वृद्धि को 250 ग्राम प्रति 10 किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए।
3) ट्राइकोडर्मा पाउडर को अच्छी तरह सड़ी हुई गाय के गोबर में 2.5 किलो प्रति एकड़ की दर से मिलाकर बुवाई से पहले मिट्टी में फैला देना चाहिए ताकि मिट्टी जनित फफूंद रोगों को फैलने से रोका जा सके।
4) बुवाई के लिए देशी किस्म का 25 से 30 किलो प्रति एकड़ और काबुली किस्म का 40 से 50 किलो प्रति एकड़ का प्रयोग करना चाहिए। देसी किस्मों को 30 × 10 सेमी की दूरी पर और काबुली किस्मों को 45 × 10 सेमी की दूरी पर बोया जाना चाहिए। बीज को 5 सेमी की गहराई पर बोने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।
5) जलवायु परिवर्तन के कारण अक्सर बेमौसम बारिश होती है और फसल में पानी जमा हो जाता है, फसल अंकुरित हो जाती है। इससे बचने के लिए साड़ी वर्मम्बा पर चौड़े बेड स्टीमर से या बाइटिंग विधि से बोना बेहतर होता है।
6) रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के अनुसार करना चाहिए। यदि मृदा परीक्षण संभव न हो तो रासायनिक उर्वरक की पूरी मात्रा अर्थात 25 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फास्फोरस एवं 30 किग्रा पलाश अर्थात 50 किग्रा यूरिया, 300 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट एवं 50 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश अथवा 125 किग्रा0 डायमोनियम फॉस्फेट प्रति हेक्टेयर बुवाई के समय डालना चाहिए।


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