बिहारशरीफ के धनेश्वरघाट हनुमान मंदिर में गुरुवार को हवन व सत्यनारायण पूजा के साथ ही 48 घंटे का दो दिवसीय 32वां अष्टयाम महायज्ञ सम्पन्न हुआ। हनुमान मंदिर यज्ञ समिति की ओर से आयोजित इस अष्टयाम महायज्ञ का शुभारंभ 6 सितंबर को हुआ था। दो दिनों तक निर्बाध रूप से भैंसासुर, सोसन्दी, बेलदारबीघा, लोदीपुर व हुड़ारि गांवों की कीर्तन मंडली द्वारा “हरे राम, हरे कृष्णा” के उद्घोष से पूरा माहौल भक्तिमय बना हुआ रहा।
यज्ञ समिति के वरिष्ठ सदस्य आनन्द कुमार ने बताया कि अष्टयाम का अर्थ है आठ पहर। एक दिन-रात में आठ याम होते हैं इसलिए इसे अष्टयाम से अभिहित किया जाता है। महायज्ञ समष्टि प्रधान होता है। अत: इसमें व्यक्ति के साथ जगत कल्याण और आत्मा का कल्याण निहित रहता है। इसलिए महर्षि भारद्वाज ने कहा है कि सुकौशलपूर्ण कर्म ही यज्ञ है और समष्टि सम्बन्घ से उसी को महायज्ञ कहते हैं।
यज्ञ समिति के अध्यक्ष ने बताया कि धनेश्वरघाट मन्दिर में अष्टयाम महायज्ञ का शुभारंभ 1992 में हुआ। हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी इसकी शुरुआत तथा 48 घण्टे बाद त्रयोदशी को हवन-पूजा के साथ संपन्न होता है।
इसकी शुरुआत यज्ञ मंडप में 6 सितंबर मंगलवार को कलश स्थापित कर भगवान की पूजा-अर्चना से की गई। सर्व कल्याण, जन हिताय, चंहुओर सुख-समृद्धि की विचारधारा को आगे बढ़ाने सहित विश्व शांति के लिए आयोजित इस दो दिवसीय अष्टयाम यज्ञ के दूसरे और अंतिम दिन 8 सितंबर गुरुवार को धनेश्वरघाट मन्दिर परिसर में हवन व सत्यनारायण पूजा की गई। इस अवसर पर हनुमान मंदिर यज्ञ समिति की ओर से प्रसाद वितरण व भंडारा का भी आयोजन किया गया। इसमें श्रद्धालु नर-नारियों सहित हजारों लोगों ने भोजन किया। अष्टयाम महायज्ञ के सफल आयोजन में यज्ञ समिति के कुमार माधवेन्द्र सिंह, रामकृष्ण प्रसाद, उदय प्रसाद, कुमार मयंक, कौशलेन्द्र कुमार, दीपू कुमार, शैलेन्द्र कुमार, उपेन्द्र कुमार, राकेश कुमार, मुन्ना सिंह व पुजारी सूरज कुमार आदि सक्रिय रूप से लगे रहे।