डेस्क : विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच ही दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों तेल और सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट दर्ज की गई जबकि कच्चे पामतेल की कीमतों में सुधार आया। बाकी तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर ही जाकर बंद हुए। बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में लगभग 2.25 फीसदी की गिरावट थी जबकि शिकॉगो एक्सचेंज लगभग 1 फीसदी कमजोर रहा।
कुछ सूत्रों ने कहा कि विदेशों में गिरावट के रुख के बावजूद देश के तेल-तिलहन बाजारों में कच्चा पामतेल (CPO), सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के दाम में कोई भी कमी नहीं आई है। देश में सोयाबीन डीगम और सूरजमुखी तेल के शुल्कमुक्त आयात की छूट दिए जाने के बाद से विदेशों में सूरजमुखी के भाव लगभग 400 डॉलर तक टूट चुके हैं पर इसका कोई असर स्थानीय बाजारों पर नहीं दिख रहा है। इसका मुख्य कारण एक सीमा में (लगभग 20-20 लाख टन प्रति वर्ष- 2 साल के लिए) शुल्कमुक्त आयात की छूट दिए जाने के बाद तेल आपूर्ति का कम होना (शॉर्ट सप्लाई) है। यानी शुल्कमुक्त आयात के इतर आयात का लगभग रुक सा जाना है।
कुछ सूत्रों ने कहा कि देश में सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम की प्रतिमाह लगभग 2.50 लाख टन खाद्य तेल की मांग हो रही है। सरकार ने 20 लाख टन सूरजमुखी का शुल्कमुक्त आयात पूरे साल में करने की छूट भी दी है और यह छूट केवल उपभोक्ताओं के बीच वितरण करने वाली खाद्य तेल प्रसंस्करण कंपनियों को मान्य है। यानी हर माह करीब 1.65 लाख टन के बराबर ही खाद्य तेल का आयात किया जाएगा।
इससे खाद्य तेलों की मांग, आपूर्ति के मुकाबले अधिक हो जाती है और इससे अलग जो आयात होगा, उसपर 7 रुपये प्रति किलो का शुल्क अदा करना होगा। बाजार भाव सस्ते तेल के हिसाब से तय होगा तो शुल्क अदायगी के साथ अधिक लागत वाले तेल पर भी इसके कम कीमत का दबाव आयेगा। ऐसे में आयातक आगे के सौदों को खरीदने से बच रहे हैं। जिसके कारण बाजार में हल्के खाद्य तेलों की आपूर्ति भी घट गई है और इससे कीमतें जस की तस बनी हुई हैं।