न्यूज़ डेस्क : तेल – तिलहन बाजार से बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल तेल तिलहन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। दरअसल फॉरेन मार्केट में तेल तिलहनों के दाम भारत में गिरे हैं। इस वजह से बीते शनिवार को दिल्ली बाजार में कच्चा पामतेल, सोयाबीन तेल, बिनौला आदि तेलों की कीमत में गिरावट देखी गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार विदेशी तेल कीमतों में गिरावट का हमारे घरेलू तिलहनों पर कड़ा प्रहार हो रहा है, यदि समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया तो स्थिति गंभीर होने की संभावना है। विदेशी तेलों की कीमतें गिर गई हैं और हमारे स्वदेशी तेलों की उत्पादन लागत अधिक है।
यदि स्थिति को नहीं संभाला गया तो देश में तिलहन उद्योग और इसकी खेती गंभीर रूप से प्रभावित होगी। यदि सस्ते आयातित तेलों पर अधिकतम आयात कर लगाकर स्थिति को नहीं संभाला गया तो तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के बजाय किसान तिलहन की खेती से विमुख हो सकते हैं क्योंकि देशी तेलों की उत्पादन लागत अधिक होगी। देश की पूरी तरह से आयात पर निर्भरता के कारण विदेशी मुद्रा की बर्बादी भारी मात्रा में बढ़ सकती है।
हर साल देशी तिलहन जैसे सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला की बुवाई करनी पड़ती है। इसके अलावा खाद, पानी, बिजली, डीजल, श्रम जैसे खर्चे हर साल वहन करने पड़ते हैं लेकिन पाम और पामोलिन के मामले में यह अलग है क्योंकि एक बार इन्हें लगाने के बाद इन्हें अगले कई वर्षों तक बिना भारी लागत के उगाया जा सकता है। मामूली रखरखाव खर्च। वर्षों तक उपज मिलती रहती है।