बिहारशरीफ को केंद्र सरकार का अल्टीमेटम.. छिन सकता है स्मार्टसिटी का दर्जा.. जानिए क्यों ?

smartcity works बिहारशरीफ वालों के लिए बुरी खबर है । साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी झटका है । क्योंकि बिहारशरीफ में स्मार्टसिटी को लेकर केंद्र सरकार ने अल्टीमेटम दे दिया है। केंद्र सरकार ने डेडलाइन तय कर दी है । अगर उस डेडलाइन में काम पूरा नहीं हुआ तो पैसे वापस लेने की धमकी भी दे दी गई है । ऐसे में स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट को धक्का लगता दिख रहा है ।

बिहारशरीफ वालों के लिए बुरी खबर है । साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी झटका है । क्योंकि बिहारशरीफ में स्मार्टसिटी को लेकर केंद्र सरकार ने अल्टीमेटम दे दिया है। केंद्र सरकार ने डेडलाइन तय कर दी है । अगर उस डेडलाइन में काम पूरा नहीं हुआ तो पैसे वापस लेने की धमकी भी दे दी गई है । ऐसे में स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट को धक्का लगता दिख रहा है ।

क्या है पूरा मामला
बिहारशरीफ को स्मार्टसिटी बनाने के लिए 4 साल पहले चयन हुआ था । लेकिन आज तक कोई भी काम पूरा नहीं हो पाया है। जिस रेशियो में काम होना चाहिए था और राशि खर्च होनी चाहिए थी । उस अनुपात में न तो काम हुआ है और ना ही राशि खर्च हो पाई है। अब तक 940 करोड़ रुपए खर्च होने थे । लेकिन अब तक खर्च नहीं हो पाया है ।

कब तक का अल्टीमेटम
दरअसल, शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को पांच साल में पूरा करना होता है । लेकिन बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी का ये हाल है कि चार साल बाद भी काम ठीक से नहीं चल रहा है । ऐसे में केंद्र सरकार ने 10 महीने का अल्टीमेटम दिया है। जिसके मुताबिक जून 2023 तक काम को पूरा करना है । अगर केंद्र द्वारा दी गई राशि खर्च नहीं हो पाई तो बची हुई राशि केन्द्र सरकार वापस ले लेगी ।

क्या है स्थिति
अगर बिहारशरीफ में ग्राउंड जीरो की स्थिति देखेंगे तो आपको इसका अंदाजा मिल जाएगा । काम की मौजूदा रफ्तार को देखकर तो नहीं लगता है कि तय समय सीमा में बिहारशरीफ में काम पूरा हो पाएगा । लेकिन सूत्रों का कहना है कि केंद्र के अल्टीमेटम के बाद अधिकारियों पर दबाव बढ़ गया है।

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पैसों का हिसाब किताब समझिए
आपको बता दें कि जनवरी 2018 में बिहारशरीफ नगर निगम को स्मार्ट सिटी के लिए चयन किया गया था। पांच सालों में शहर के विकास के लिए 940 करोड़ खर्च किया जाना था। लेकिन अबतक 372 करोड़ रुपए स्मार्ट सिटी को उपलब्ध कराया गया है। जिसमें से महज 176.04 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाया है । यानि 372 करोड़ में से भी 195.96 करोड़ अभी खर्च करना बाकी है। मतलब 940 करोड़ तो दूर की चीज है। इसके अलावा ऑफिस के लिए 20 करोड़ दिया गया था जिसमें 13.24 करोड़ खर्च किया जा चुका है। 6.76 करोड़ शेष बचा है। मतलब समझ जाइए.. चाय बिस्कुट के आवंटित राशि में से करीब 70 प्रतिशत खर्च हो गए हैं । लेकिन काम के मामले में क्या हाल है ?

कई सवाल हैं
लेकिन अधिकारियों का क्या है ? अगर काम पूरा नहीं पाया तो क्या अधिकारियों को दंडित किया जाएगा ? अधिकारी आज यहां हैं कल कहीं और होंगे ? लेकिन असली नुकसान को शहरवासियों का होगा । जिसने सपने संजोए थे कि उनका शहर स्मार्ट बनेगा, स्मार्ट दिखेगा । छोटे से शहर में महानगरों जैसे सुविधा होगी ? ऐसे में जरुरत है कि जनता भी जागरुक बने। जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछे कि उनका शहर कब तक स्मार्ट बन जाएगा ? ताकि जनप्रतिनिधियों के जरिए अधिकारियों पर दबाव बनाया जा सके । साथ ही शहरवासियों से भी अपेक्षा है कि वो अधिकारियों और कर्मचारियों को काम करने में साथ दें.. ना कि बार बार अड़ंगा लगाएं।

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