आचार्य विनोबा भावे की जयन्ती मनाई गई

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फारबिसगंज: स्थानीय प्रो० कॉलोनी में प० रामदेनी तिवारी ‘द्विजदेनी क्लब फारबिसगंज के द्वारा भू आंदोलन के प्रणेता आचार्य विनोवा भावे की जयंती हेमंत यादव ‘शशि’की अध्यक्षता में मनाई गई।

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वही संचालन युवा कवि गौतम केशरी ने किया। आचार्य विनोबा भावे के तस्वीर पर सज्जनों एवं बच्चों के द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पण के बाद वक्ताओं सुरेन्द्र प्रसाद मण्डल, हर्ष नारायण दास, प्रो० सुधीर सागर, हरिनन्दन मेहता, विनोद कुमार तिवारी, सुनील दास एवं गौतम केशरी ने संयुक्त रूप कहा की महान दार्शनिक, चिंतक रचनात्मक कर्मक्षेत्र के कर्मठ साधक तथा गांधीवादी आचार्य भावे का जन्म महाराष्ट्र में कोलाबा जिले गंगोदा नामक गांव में 11 सितम्बर 1895 को हुआ था। उच्च शिक्षा प्राप्ति के बाद कालांतर में गाँधीजी के अवसान के पश्चात विनोबा भावे ने गाँधी जी की स्मृति को ह्रदय में रखकर अपना सम्पूर्ण समय भूदान के रचनात्मक कार्य को समर्पित किया था। 

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1960 में उनकी प्रेरणा से चम्बल के डाकुओं ने इनके समक्ष हथियार डालें थे। इन्हीं की प्रेरणा से जयप्रकाश नारायण जीवनदानी बने।15 नवम्बर 1982 को आचार्य विनोबा भावे ने ‘स्वेच्छा व्रत’ द्वारा अपने प्राण न्योछावर कर दिये।इनके मरणोपरांत इन्हें ‘भारत रत्न’ सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया था। इन्होंने कई ग्रन्थों का सृजन भी किया था। जिसमें ‘स्वराज शास्त्र’ तथा ‘गीता प्रवचन’ से ग्रन्थ भी शामिल है। अतः विनोबा भावे के दिखाए मार्ग का अनुसरण करने की आज प्रबल आवश्यकता है। इन्हें हम सब कोटि-कोटि नमन करते है।

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