नगर पंचायत चुनाव: चंडी लैंड करने लगे हैं अध्यक्ष पद के दावेदार, बरसाती मेंढक छाप भी खुश – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

चंडी (नालंदा दर्पण)। बिहार में नगरपालिका चुनाव की अधिघोषणा के साथ ही चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। नगरपालिका चुनाव लड़ने को इच्छुक उम्मीदवार अब सीधे मैदान में आ गए हैं। इस बार बिहार में दो चरणों में नगर निकाय के चुनाव कराए जाएंगे। पहले चरण का चुनाव 10 अक्टूबर को होना है जिसके लिए अधिसूचना सोमवार को जारी हो जाएगी।

चंडी प्रखंड का चंडी में पहली बार निकाय चुनाव होने जा रहा है। जिसे लेकर सरगर्मी बढ़ गई है। हालांकि यह सरगर्मी एक साल पहले से ही थी, लेकिन चुनाव को उहापोह को लेकर प्रत्याशी थोड़े उदासीन थे। लेकिन जैसे ही नगरपालिका चुनाव की घोषणा हुई अध्यक्ष पद के संभावित उम्मीदवार चंडी लैंड करने लगे हैं।

ऐसे में उनके साथ रहने वाले बरसाती मेंढक भी खुश दिख रहें हैं।अपने अपने समर्थकों के समर्थन में आ गए हैं। यहां वार्ड सदस्य से ज्यादा अध्यक्ष के चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों में उत्साह है। अबतक दर्जन भर चेहरे उभर कर सामने आया है।

ऐसे में लोगों का कहना है कि चंडी नगर पंचायत में जितनी गलियां नहीं है, उससे ज्यादा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में उतरने वालों की संख्या सोशल मीडिया से भरी पड़ीं है। जिन्हें समाजसेवी का ‘स’ नहीं पता वो भी उम्मीदवार घोषित किए घूम रहे हैं। जिन्होंने कभी अपने पड़ोसी तक कि मदद नहीं की है वे भी बड़का समाजसेवी होने का दंभ भर रहे है।

चंडी नगर पंचायत चुनाव भले ही अगले महीने होंगे लेकिन पिछले दशहरा-दीपावली से नगर पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार सोशल मीडिया पर छाये हुए हैं। लोगों को नववर्ष, 26 जनवरी, सरस्वती पूजा और आनेवाली होली की शुभकामनाएं दे रहे हैं।

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सिर्फ इतना ही नहीं अपने आप को सबसे बड़ा स्वघोषित ‘समाजसेवी’ का तमगा तक दें रहें हैं। ‘हम हैं बड़े समाजसेवी’ की होड़ मची हुई है। समाजसेवी होने का चोला ओढ़कर चुनाव मैदान में आने का ऐलान कर रहे हैं।

वैसे देखा जाए तो पंचायत चुनाव हो या विधानसभा, लोकसभा का चुनाव छुटभैय्ए नेताओं की बाढ़ आ ही जाती है।

छुटभैय्ए नेता और समाज सेवक इंसानो की यह वह नस्ल है,जो हर गली,नुक्कड,चौराहे पर आपको आसानी से घूमती नजर आ जाएगी। कभी किसी चाय की टपरी पर तो कभी पान की दुकान  पर झक्कास  सफ़ेद कुर्ते मे खडे हुए नजर आ जाता है। ये शहर मे भी मिलते हैं और गांव में भी पाए जाते हैं। ये हर जगह उपलब्ध होते हैं।

जैसे ही कोई चुनाव नजदीक आता है ,लोगो को कहना शुरु कर देते हैं कि चुनाव लड़ने के जरा भी इच्छुक नही है,अब भले ही अंदर से चुनाव लड़ने की इच्छा जोर मार रही हो, ऐसा कहने से लोगो मे जिज्ञासा पैदा होती है। फिर धीरे से,पीछे से अपने चमचों को सोशल मीडिया पर अपनी मुनादी करवाने के लिए तैयार कर लेते हैं कि आप भावी पार्षद है।ऐसे में छुटभैय्ए नेताओं की  अपनी बात भी रह जाती है और बेइज्जती भी नही होती। इलाके में उनकी भौकाल तो बन ही जाता है।

कुछ ऐसे भी समाजसेवी है जो पुलिस स्टेशनों,सरकारी दफ्तरों मे अपने आस पास के लोगो का काम करवाते रहते हैं। लोग भले इन से  खुश रहें, मगर पीछे से अपना कमीशन लेना वाला ही असली समाजसेवी कहलाता है। आखिर समाज सेवकी और नेतागिरी भी तो चमकानी है, बिना कमीशन के पैसो के काम कैसे चलेगा भला ?

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अगर काम नहीं भी कर सके तो कोई बात नहीं है, बस बंदर की तरह इधर उधर उछलते- कूदते रहते हैं ताकि लोगो को लगे कि समाजसेवी लोग काम करने की कोशिश मे लगे है।

चंडी नगर पंचायत में चुनाव लड़ने वाले कुछ लोगों पर तुषारापात भी हो रहा है। उनकी इच्छा पर निर्वाचन आयोग ने पानी फेर दिया है। पहले से चुनाव लड़ने का मंसूबा पाल‌ रखें, उम्मीदवार अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

इसका कारण है कि निकाय चुनाव में पहले से दो बच्चों की नीति लागू है।चाहे वह महिला उम्मीदवार हो या फिर पुरुष जिन्हें दो से अधिक बच्चे हैं, ऐसे में वे चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।ऐसे में पहले से चुनाव की तैयारी कर रहे, कुछ भावी उम्मीदवार से उनके सिर से अब समाजसेवा का भूत पूरी तरह उतर गया है। ऐसे लोगों में कुछ पंचायत चुनाव में हार चुके उम्मीदवार भी थे।

चंडी नगर पंचायत में कुल 11 वार्ड हैं जिनमें वार्ड संख्या एक पिछड़ा वर्ग महिला, वार्ड दो, अनारक्षित महिला, वार्ड तीन अनुसूचित जाति महिला,वार्ड चार पिछड़ा वर्ग अन्य, वार्ड पांच, अनारक्षित महिला, वार्ड छह, अनारक्षित अन्य, वार्ड सात अनारक्षित महिला, वार्ड आठ अनारक्षित अन्य,वार्ड नौ अनुसूचित जाति अन्य,वार्ड दस अनारक्षित अन्य तथा वार्ड ग्यारह को अनुसूचित जाति अन्य के लिए घोषित किया गया है।

ऐसे में जहां संभावित प्रत्याशी की दाल नहीं गल रही है, वे अपने खास को चुनाव मैदान में उतारने की जुगत भिड़ा रहें हैं।

चंडी नगर पंचायत अध्यक्ष का पद अनारक्षित रखा गया है, जिस वजह से बड़ी संख्या में उम्मीदवार अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। ऐसे में चुनाव पर धनबल प्रभावी रहेगा। जो जितना वोटरों को अपने पक्ष में करेगा जीत उसकी सुनिश्चित होगी। कहीं-कहीं अभी से ही संभावित उम्मीदवारों से मंदिर निर्माण कराने की कसमें खिलाई जा रही है।

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