भारत का इकलौता तांत्रिक विश्वविद्यालय, जहाँ रात में न सिर्फ़ इंसानों बल्कि जानवरों को भी नहीं है जाने की इजाज़त

भारत देश पूजा-पाठ, मंदिरों के लिए विश्वविख्यात है। लेकिन कुछ रहस्यमई मंदिर ऐसे भी हैं,जिसकी ख्याति ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी काफी पहले के वक्त से रही है। भारत में एक ऐसा ही प्रसिद्ध मंदिर है चौसठ योगिनी मंदिर । इसकी संख्या भारत में चार है जिसमें से दो ओड़िशा में दो मध्यप्रदेश में है। लेकिन इस सब में सबसे ज्यादा विख्यात मध्यप्रदेश के मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर है। सबसे प्रमुख और प्राचीन मंदिर यह माना जाता है जिसे कुछ वक्त पहले तांत्रिक विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता था।

101 खम्भों पर टिका है अद्भुत मंदिर

101 खम्भों पर टिका है अद्भुत मंदिर मध्यप्रदेश के मुरैना जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर मितावली गांव में बना यह चौसठ योगिनी मंदिर दुनिया भर में विश्व प्रसिद्ध है। इस मंदिर में लोग देश विदेश से तंत्र मंत्र सीखने आते थे। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सन 1323 में क्षत्रिय राजाओं द्वारा किया गया था।

जो कि 101 खंभों पर टिका हुआ मंदिर है। वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मंदिर द्वारा इसे ऐतिहासिक स्मारक भी घोषित कर दिया गया है। मंदिर के अंदर 64 कमरे हैं और इन सभी 64 कमरों में भगवान शिव की भव्य शिवलिंग स्थापित हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 200 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। चौसठ योगिनी मंदिर वृतीय आधार पर बना हुआ मंदिर है। जिसके बीच में एक खुला मंडप है जहां पर भगवान शिव के शिवलिंग के साथ योगिनी देवी की मूर्ति भी स्थापित है। लेकिन कुछ मूर्तियां यहां से चोरी हो गई है जिसके बाद से मूर्तियों को दिल्ली के संग्रहालय में रख दिया गया है।

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घोर दैत्य का संहार करने के लिये माँ काली ने लिया था अवतार

घोर दैत्य का संहार करने के लिये माँ काली ने लिया था अवतार धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सारी चौसठ योगिनी माता आदिशक्ति काली के अवतार हैं।घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करने और उसका संहार करने के लिए मां काली ने अवतार दिया था। सभी देवियों में 10 महाविद्या और सिद्ध विद्याओं के साथ गणना की जाती है। यह सभी योगिनी तंत्र तथा योग विद्या से संबंध रखती हैं।

योगिनी मंदिर के पास आज भी किसी को रात में रुकने की इजाज़त नहीं है

योगिनी मंदिर के पास आज भी किसी को रात में रुकने की इजाज़त नहीं है इस मंदिर के आसपास में अभी भी रात के समय में ना तो किसी इंसान ना ही किसी पशु पक्षी को रुकने की इजाजत है। क्योंकि यह मंदिर आज भी शिव की तंत्र साधना के कवच से ढका हुआ है। तंत्र साधना के साथ मशहूर इस मंदिर में शिव की योगनियों को जागृत किया जाता था। इसे तांत्रिक यूनिवर्सिटी कहे जाने की वजह भी यही थी कि यहां पर इस मंदिर में कई तांत्रिक सिद्धियां हासिल करने के लिए आते थे। यहां पर तांत्रिकों का जमावड़ा हर वक़्त लगा रहता था।

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