बहदुरा उप स्वास्थ्य केन्द्र का भवन हुआ ज़मीनदोज, विधायक बीमा के पत्र का कोई असर नहीं

FB IMG 1667478837719 रुपौली/विकास कुमार झा

रुपौली/विकास कुमार झा

80 के दशकों तक प्रखंड क्षेत्रों में विशिष्ट पहचान रखने वाले वाले बहदुरा उप स्वास्थ्य केन्द्र विभागीय उदासीनता का शिकार हो गया है।जिस केन्द्र में सुबह से शाम तक मरीजों की भीड़ होती थी, वहां आज़ मवेशियों का चारागाह हो गया है, ग्रामीण बताते हैं कि 80 के दशक तक बहदुरा उप स्वास्थ्य केन्द्र रुपौली प्रखंड में एक अलग ही पहचान रखता था। अस्पताल में एएनएम और फार्मासिस्ट के साथ ही एक एमबीबीएस चिकित्सक भी पदस्थापित थें।समय के थपेड़ो के साथ पूरे क्षेत्र में विकास हुआ, लेकिन इस अस्पताल का विकास के बजाय विनाश ही होता गया, 

IMG 20220916 WA0010 रुपौली/विकास कुमार झा

आज़ ऐसा हाल है स्वास्थ्य विभाग की लगभग दो एकड़ में फैला परिसर आज अतिक्रमणकारियों के भेंट चढ़ गया है। आस-पास के आधे दर्जन लोगों के द्वारा अपने अपने ढंग से मवेशियों का आशियाना बनाकर पूरे परिसर में कब्जा जमा लिया गया है। बहदुरा ग्रामवासी यह सोचकर हैरान रह गए हैं जब एक साल पूर्व ही क्षेत्रीय विधायक बीमा भारती के द्वारा तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा को पत्र लिखकर बहदुरा उप स्वास्थ्य केन्द्र के नए भवन बनाने की स्वीकृति विभाग से लेने के लिए कहां गया था। फिर किया कारण हुई जो आज़ तक भवन निर्माण संबंधित प्रिक्रिया में इतना समय लग गया, इससे तो यही प्रतीत होता है सरकार एवं सरकार के पदाधिकारी रुपौली प्रखंड क्षेत्र के पश्चिमी इलाके के लोगों के साथ के सौतेले पन का व्यवहार कर रहे हैं।

IMG 20220803 WA0019 रुपौली/विकास कुमार झा

वही ग्रामीणों ने बताया जब दो हज़ार ईस्वी में भवन जर्जर होने लगी तो नए भवन बनाने के नाम पर उप स्वास्थ्य केन्द्र तत्कालीन रुप से एक किराए के मकान में शुरू कर दिया गया, लेकिन बहदुरा सहित आसपास के बाशिंदों का उक्त जगह से आज़ तक स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पाया। कहने को तो एक एएनएम शिला कुमारी की पोस्टिंग उप-स्वास्थ्य केंद्र बहदुरा में तैनाती है,लेकिन अगर साल में एक दिन भी आपको मिल जाए तो आप भाग के धनी होंगे। ग्रामीण सह शिक्षक शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया 2018 में तत्कालीन उप विकास आयुक्त रमाशंकर के द्वारा बहदुरा उप स्वास्थ्य केन्द्र के भवन निर्माण संबंधित डीपीआर तैयार कर विभाग को भेजा गया था, लेकिन उसके बाद किया हुआ पता है, जबकि बहदुरा उप स्वास्थ्य केन्द्र से लगभग बीस से पच्चीस हजार आबादी को स्वस्थ्य लाभ मिलता था,अब प्राथमिकी उपचार के लिए भी लोगों को बारह से पंद्रह किलोमीटर की दूरी तय कर रुपौली रेफ़रल अस्पताल पहुंचना पड़ता है।

IMG 20220911 WA0034 रुपौली/विकास कुमार झा

 वही प्रशव कराने वाली महिलाओं को तो और ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है, एक ऑटो वालों की मनमानी किराया, दूसरा रोड का सही नहीं होना एवं समय पर समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं होने से कभी-कभी प्रसव कराने वाली महिलाओं की मौत हो जाती है। जबकि इस तरफ़ सरकार के जिम्मेदार अधिकारी देखना तक मुनासिब नहीं समझते है। रुपौली रेफ़रल अस्पताल के बीएचएम रंजीत चौधरी ने बताया विभाग के तरफ़ से अभी किसी भी तरह का आदेश नहीं मिला है, आदेश मिलते ही भवन निर्माण की प्रक्रिया की जाएगी। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी मिथिलेश कुमार ने बताया आप बीएचएम से बात कर लीजिए,हम बीएचएम से बात करते हैं। वही बीएचएम एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी मिथिलेश कुमार एक दूसरे से पुछ लेने की बात पर टालमटोल कर रहे थे।वही विधायक बीमा भारती से जब फ़ोन लाइन पर बात किए तो उनका कहना हुआ अभी पटना जा रहे हैं,पटना पहुंचकर विभाग से बात करते हैं क्यूं नही हुआ है निर्माण।

See also  न्यूज नालंदा - टाउन हॉल में आयोजित सावन महोत्सव में बच्चों ने बांधा शमा ..... -

Leave a Comment