पूर्णियाँ/प्रीतेश कुमार
श्रीनगर – प्रखंड क्षेत्र में भाई बहन के प्रेम और विश्वास का पर्व सामा चकेवा को लेकर गाँव मुहल्ले में चहल पहल देखने को मिल रहा है। इसकी शुरुआत छठ के पारण के दिन से हो जाती है। सभी अपने अपने घर में इस दिन से सामा चकेवा बनाना शुरु कर देती हैं। जो भी इस दिन बना नहीं पाती हैं वो देवउठान एकादशी के दिन बनाती हैं
जिसमें सामा, चकेवा, वृंदावन, चुगला, सतभैया, पेटी, पेटार आदि मिट्टी से बनाया जाता है। उस दिन से महिलाएँ नियमित रात्रि के समय आंगन में बैठ कर गीत गाती है व खूब खेलती हैं, नियमित गीत गाती हैं। जिसमें भगवती गीत, ब्राम्हण गीत और अंत में बेटी विदाई का समदाउन गाती हैं
यह सिलसिला कार्तिक पूर्णिमा के दिन तक चलता है। उसके बाद कार्तिक पूर्णिमा की रात में सामा का विसर्जन किया जाता है। जिसमें महिला, लड़कीयों, व बच्चों के संग संग घर के पुरुष वर्ग भी शामिल हुए।