मजदूर से सत्ता के केंद्र तक पहुँचने वाले बिहारी की कहानी, गिरमिटिया मजदूर से तय किया प्रधानमंत्री बनने तक का सफर

बिहारियों को लेकर अक्सर कहा जाता है कि वह कहीं भी जाएं हर जगह को ही अपना बना लेते हैं। लेकिन किसी जगह पर मजदूरी के लिए जाना और वहां की सत्ता को परिवर्तित करके उसके केंद्र में अपनी जगह बना लेना कोई छोटी बात नहीं है। मॉरीशस जो कि आज मिनी इंडिया के नाम से जाना जाता है। इससे यह नाम देने में सबसे बड़ा योगदान बिहारियों का ही है जो कि एक गिरमिटिया मजदूर के तौर पर मॉरीशस लाए गए थे और आज उसी गिरमिटिया मजदूर परिवार के सदस्य मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ Pravind Jugnauth के तौर पर सत्तासीन है।

1834 से बिहारियों को मॉरीशस ले जाने का सिलसिला शुरू हुआ था

1834 से बिहारियों को मॉरीशस ले जाने का सिलसिला शुरू हुआ था वर्तमान में प्रतिवर्ष सत्तर हजार लोग बिहार से मॉरीशस सिर्फ घूमने के लिए जाते हैं।लेकिन 18 वीं सदी का एक ऐसा वक्त था जब भारतीयों को मजबूरन या जबरदस्ती भारत से मॉरीशस ले जाया जाता था।वर्ष 1834-36 में बिहारी मजदूरों को बिहार से मॉरीशस मजदूरी करने के लिए पहली बार लेकर जाया गया था। 18 वीं सदी में बिहार में भयंकर अकाल और भूखमरी पड़ी थी। जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने बिहारियों से एक कॉन्ट्रैक्ट किया था कि 5 वर्ष के लिए बाहरी जगह पर उन्हें नौकरी दिलवाई जाएगी। जिसके तहत गिरमिट एग्रीमेंट साइन करवाए गया। इन पर हस्ताक्षर या निशान देने वाले मजदूरों को गिरमिटिया कहा गया था।

See also  उचका पर स्थित देवी स्थान के प्रांगण अखंड कीर्तन समारोह का आयोजन

वर्ष 1833 में गुलामी उन्मूलन अधिनियम आने के बाद से मजदूरों की स्थिति अत्यंत ही खराब हो चुकी थी

वर्ष 1833 में गुलामी उन्मूलन अधिनियम आने के बाद से मजदूरों की स्थिति अत्यंत ही खराब हो चुकी थी पहली बार बिहार से 10 सितंबर 1834 को कोलकाता से मजदूर मॉरीशस के लिए रवाना हुए थे। जो कि 2 नवंबर 1834 को मारीशस पहुंच गए थे। जिसके बाद यह सिलसिला चलता ही गया और 1834 से लेकर 1910 तक 4,51,740 गिरमिटिया मजदूर बिहार से मॉरीशस पहुंच गए। वर्ष 1833 में गुलामी उन्मूलन अधिनियम लागू किया गया ।

जिसके बाद से गुलामों का कारोबार बंद हो गया। परंतु इन्हें मॉरीशस ले जाने का तरीका बहुत ही भयावह इस वक्त हो चुका था क्योंकि मजदूरों को मॉरीशस जहाज से ले जाया जाता था । तो बीच समुद्र में अगर ऐसा प्रतीत होता था कि ब्रिटिश को पता चल सकता है कि गुलामों के जाने की खबर लग गई है तो मजदूरों को भी समुद्र में धक्का देकर मार दिया जाता था।

वर्तमान में 70% से भी अधिक जनता मॉरिशस की भारतीयों से भरी है

वर्तमान में 70% से भी अधिक जनता मॉरिशस की भारतीयों से भरी है मजदूरों को बिहार से मॉरीशस ले जाते जाते स्थिति यह हो गई थी कि वर्ष 1931 तक मॉरीशस की 68% जनता भारतीय मुख्यता बिहारियों से ही भर गई थी ।मॉरिशस को मिनी भारत कहा जाने लगा था जो कि आज तक कहा ही जा रहा है। वर्तमान में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ है। उनके परिवार को भी किसी वक्त गिरमिटिया मजदूर के तौर पर ही मॉरिशस ले जाया गया था। लेकिन वक्त ने परिवर्तन का दौर देखा और आज वह मॉरीशस के प्रधानमंत्री के तौर पर आसीन हो चुके हैं।

See also  धक्कादायक ! पुढारी राजकारणात व्यस्त; गेल्या 9 महिन्यात 756 शेतकऱ्यांच्या आत्महत्या

Leave a Comment